सियासत | 3-मिनट में पढ़ें
'सेक्युलरवाद' के जरिए राजनीतिक पार्टियों का फायदा तो है!
भारतीय सेक्युलरवाद दैवी बनाम सांसारिक न हो कर सर्वधर्मसमभाव का है. यह बहुलता के प्रति सहनशीलता और राज करने के नियमित सिद्धांत के रूप में मान्यता देने का है. पर भारतीय और पश्चिमी सेक्युलरवाद में फर्क करने का मतलब यह नहीं है कि हम राज्य की सेक्युलर पहचान पर ही सवाल उठाना शुरू कर दें.
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राहुल गांधी 2024 के बाद भी कांग्रेस को सबसे बड़ी विपक्षी पार्टी बनाये रख पाएंगे?
भारत जोड़ो यात्रा (Bharat Jodo Yatra) के जरिये राहुल गांधी (Rahul Gandhi) अगले आम चुनाव (General Election 2024) की तैयारियों में जुटे हुए हैं, लेकिन जिस तरीके से संघ और बीजेपी के खिलाफ काउंटर स्ट्रैटेजी चलायी जा रही है - कांग्रेस के आगे भी सबसे बड़ी विपक्षी पार्टी बने रहने पर संदेह है.
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Nitin Gadkari के ताजा बयान उनकी निराशा और दुख बयां कर रहे हैं
भारतीय राजनीति (Indian politics) को लेकर केंद्रीय मंत्री नितिन गडकरी (Nitin Gadkari) के ताजा बयान में निराशा भाव की झलक मिल रही है - ऐसा भाव प्रकट होने की वजह कहीं प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी या अमित शाह (Narendra Modi & Amit Shah) तो नहीं हैं?
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मदरसों पर सरमा ने कुछ सही बोला, कुछ गलत- चर्चा दोनों पर होनी चाहिए!
असम के मुख्यमंत्री हिमंत बिस्वा सरमा ने कहा कि 'मदरसा' शब्द का अस्तित्व अब समाप्त हो जाना चाहिए. इसके पीछे जो तर्क उन्होंने दिए हैं वो मजबूत तो हैं लेकिन जैसी उनकी बातें हैं साफ़ है कि इन बातों के पीछे उनका अपना अलग एजेंडा है और उस एजेंडे पर बात बिल्कुल होनी चाहिए.
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सत्यपाल मलिक को कौन घूस दे रहा था, मनोज सिन्हा बस ये जानना चाहते हैं या कुछ और?
सत्यपाल मलिक (Satyapal Malik) के मुताबिक रिश्वत की बात सुनते ही वो फाइल पर फुल स्टॉप तो लगाये ही, प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी (Narendra Modi) ने भी भ्रष्टाचार से समझौता न करने की सलाह दी, लेकिन मनोज सिन्हा (Manoj Sinha) जो सच जानना चाहते हैं उसका दायरा कहां तक है - महज रिश्वत तक या राजनीतिक भी?
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