सियासत | 7-मिनट में पढ़ें

भारत के मुसलमानों को दो-तीन बातें समझ लेना ज़रूरी है!
जब तक इस्लाम के नौजवान विद्रोह नहीं करेंगे और अपनी वरीयता को मज़हब से हटाकर नौकरी, शिक्षा, कॅरियर, समाज की मुख्यधारा पर नहीं लाएंगे, कुछ होना नहीं है. हिन्दू राष्ट्रवादियों को चुप कराने का भी यही रास्ता है कि मुस्लिम सच्चे सेकुलर बन जावें. उनको यह मान लेना होगा कि दुनिया उनके हिसाब से नहीं चलेगी, उनको दुनिया के हिसाब से चलना होगा.
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समाज | 5-मिनट में पढ़ें

भारत में किसी जिन्ना टावर को तिरंगे से रंगने में 75 साल क्यों लगते हैं?
आंध्र प्रदेश के गुंटूर (Guntur) में स्थित जिन्ना टावर (Jinnah Tower) देश के आजाद होने से पहले बना था. भाजपा (BJP) मांग कर रही है कि जिन्ना टावर का नाम बदल कर पूर्व राष्ट्रपति एपीजे अब्दुल कलाम के नाम पर किया जाए. यह समझ से बाहर है कि इस मामले में कुछ राजनीतिक दलों को सांप्रदायिकता नजर आ रही है.
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Subhash Chandra Bose Birthday : नेताजी सुभाष होते तो रूकवा देते देश का दुर्भाग्यपूर्ण बंटवारा!
Subhash Chandra Bose Birthday: क्या नेताजी सुभाष चंद्र बोस 1947 में जीवित होते तो पाकिस्तान का सपना कभी भी हकीकत में बदलता? क्या वे मोहम्मद अली जिन्ना को समझा पाते कि भारत के बंटवारे से किसी को कुछ लाभ नहीं होगा? आज यानी 23 जनवरी को उनका जन्मदिन है ऐसे में ये सवाल अपने आप में महत्वपूर्ण हैं.
सियासत | बड़ा आर्टिकल

UP election में पलटी मारती बहस के बीच निजी हमले, बदलते जुमले!
2022 के यूपी विधानसभा चुनाव (UP Election 2022) को लेकर योगी आदित्यनाथ (Yogi Adityanath) और अखिलेश यादव (Akhilesh Yadav) के 5 साल पुराने चुनावी स्लोगन एक कॉमन शब्द है - 'काम', लेकिन 'जिन्ना बनाम गन्ना' का तीन साल पुराना नारा पूरी तरह बदल चुका है.
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यूपी चुनाव में ब्राह्मण केवल माहौल बनाने के लिए थे, असली वोटबैंक तो मुस्लिम ही है!
यूपी विधानसभा चुनाव 2022 (UP Assembly Elections 2022) की तैयारियों में जुटे तमाम राजनीतिक दलों की वरीयता लिस्ट से अभी तक बाहर नजर आ रहा मुस्लिम वोटबैंक (Muslim Vote Bank) अचानक ही मोहम्मद अली जिन्ना और अयोध्या में राम मंदिर के फैसले के जरिये केंद्र में आ गया है.
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जिन्ना का भारतीय मुसलमानों से क्या लेना-देना है, जो अखिलेश यादव उन्हें छोड़ना नहीं चाहते!
राजनीतिक तौर पर संवेदनशील मुद्दा कहे जाने वाले मोहम्मद अली जिन्ना (Muhammad Ali Jinnah) को लेकर सपा अध्यक्ष अखिलेश यादव (Akhilesh Yadav) का उतावलापन मुस्लिम वोटों (Muslim Vote) को एकजुट करने की कोशिश कही जा सकती है. लेकिन, ऐसा होना मुश्किल नजर आता है. क्योंकि, ये मुस्लिम समाज (Muslim) पर ही प्रश्न चिन्ह लगाने जैसा मामला है.
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