सियासत | 6-मिनट में पढ़ें
सियासत | 3-मिनट में पढ़ें

2023 कर्नाटक विधानसभा चुनाव के लिए जेडीएस कितनी तैयार?
2018 के कर्नाटक विधानसभा चुनाव में जेडीएस ने 37 सीटें जीती. जीती सीटों में से 31 सीटें पुराने मैसूर क्षेत्र से आती हैं और यही कारण है कि जेडीएस की नजर इस इलाके पर है. वहीं इस इलाके में बीजेपी को 89 सीटों में से 22 और कांग्रेस को 32 सीटों पर संतोष करना पड़ा. इस क्षेत्र में वोक्कालिगा समाज काफी बड़ी संख्या में रहता है.
सियासत | 3-मिनट में पढ़ें

चुनावी और सियासी साल होगा 2023...
दिल्ली की कुर्सी समेत सबसे अधिक सूबों में भाजपा और उसके सहयोगियों की सत्ता है. इसलिए अपनी हुकुमतों को बचा पाने के लिए भाजपा के लिए आगामी वर्ष बेहद चुनौतीपूर्ण और सियासी व्यस्तता भरा होगा.कांग्रेस और भाजपा विरोधी तमाम क्षेत्रीय दलों के लिए 2023 करो या मरो के संघर्ष से भरा होगा.
सियासत | बड़ा आर्टिकल

2024 लोकसभा चुनाव से पहले बीजेपी के लिए किन -किन राज्यों में अग्निपरीक्षा?
2023 में राजस्थान, छत्तीसगढ़, मध्य प्रदेश, कर्नाटक और तेलंगाना जैसे बड़े राज्यों के अलावा पूर्वोत्तर के त्रिपुरा, मेघालय, नगालैंड और मिजोरम में भी विधानसभा चुनाव होने हैं. इस तरह करीब दस राज्यों में चुनावी बिगुल बज सकता है. इन राज्यों के परिणाम ही आगमी लोकसभा चुनाव में बीजेपी की दशा और दिशा तय करेंगे.
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कर्नाटक विधानसभा हॉल वीर सावरकर की तस्वीर पर राजनीति हुई गर्म!
चुनाव होने में भले ही अभी ठीकठाक वक़्त बचा हो लेकिन कर्नाटक का सुर्ख़ियों में आना दस्तूर हो गया है. ताजा मामला जुड़ा है विधानसभा हाॅल में वीर सावरकर की तस्वीर से. जिसके चलते कर्नाटक में विपक्ष की भूमिका निभाने वाली कांग्रेस ने विधानसभा के बाहर जमकर हंगामा काटा, और सरकार के इस फैसले की आलोचना की.
सियासत | 2-मिनट में पढ़ें
ह्यूमर | 5-मिनट में पढ़ें

बीवी के बुजुर्ग आशिक की लाश ठिकाने लगाने वाले पति को अलग से नमन रहेगा!
बेंगलुरू में 67 साल के एक शख्स की गर्लफ्रेंड के साथ सेक्स के दौरान दिल का दौरा पड़ने से मौत हो गई. पुलिस जांच में सामने आया कि पकडे जाने के डर से महिला ने अपने पति और भाई के साथ बुजुर्ग के शव को ठिकाने लगा दिया. सोचने वाली बात ये है कि महिला के पति का दिल सच में बहुत बड़ा रहा होगा.
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स्पोर्ट्स डे पर 'कौमी एकता' के नाम पर अजान गीत का ड्रामा... लोग तो आहत होंगे ही!
उडुपी के प्राइवेट स्कूल में अज़ान गीत ने एक नए विवाद को जन्म देते हुए हिंदूवादी संगठनों को एकजुट कर दिया. स्कूल में अजान गीत को लेकर विवाद कुछ इस हद तक बढ़ा की बाद में स्कूल को मैटर ख़त्म करने के माफ़ी तक मांगनी पड़ी. सवाल ये है कि स्कूल को कौमी एकता का ये ड्रामा करने की जरूरत क्या थी?
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