सियासत | 6-मिनट में पढ़ें
सियासत | 7-मिनट में पढ़ें

भारतीय जनता पार्टी से क्या आदिवासी नाराज हैं?
कर्नाटक में आदिवासी समुदाय का वोट बैंक करीब 35 सीटों पर असर डालता है. जिसमें से 15 सीटों खुद एसटी वर्ग के लिए आरक्षित है. भाजपा इस बार एसटी वर्ग के लिए आरक्षित 15 सीटों में से एक भी सीट नहीं जीती. 14 पर कांग्रेस और 1 पर जेडीएस ने जीत हासिल की है. इस नतीजे से ये आसानी से कहा जा सकता है कि आदिवासी वोट बैंक भाजपा ने नाराज है.
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Karnataka Election Results 2023: भाजपा कब तक रहेगी मोदी ब्रांड पर निर्भर?
चुनावी पंड़ित कर्नाटक रिजल्ट के बाद समीक्षात्मक बयान देने लगे हैं कि क्या अब मोदी-शाह का दौर अंतिम पड़ाव पर पहुंच गया है या फिर भाजपा कब तक मोदी ब्रांड पर निर्भर रहेगी. वहीं, कांग्रेस की जीत के बाद यह बहस फिर से शुरू हो गई है कि क्या अगले आम चुनावों में नरेंद्र मोदी की राहें और मुश्किल होंगी?
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डीके शिवकुमार या सिद्धारमैया? कहीं कर्नाटक में राजस्थान जैसे हालात न हो जाएं!
कर्नाटक में भले ही कांग्रेस पार्टी ने ऐतिहासिक जीत दर्ज की हो लेकिन हाई कमांड और राहुल गांधी के सामने जो बड़ा प्रश्न है, वो ये कि राज्य का मुख्यमंत्री कौन होगा? कर्नाटक में डीके शिवकुमार और सिद्धारमैया के बीच जैसा गतिरोध चल रहा है कांग्रेस के सामने चुनौतियों का पहाड़ है.
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चुनाव आते हैं, मोहब्बत की दुकान के पट बंद हो जाते हैं...
विरोध के लिए खड़गे कैसे आपत्तिजनक शब्दों से विष वमन कर सकते थे? वो तो भला हो बीजेपी के बसंगौड़ा का कि उन्होंने सोनिया जी को टारगेट कर एक प्रकार से टिट फ़ॉर टैट करते हुए मामले को कूल सा कर दिया और बहुत हद तक कांग्रेस के सेल्फ गोल की भरपाई भी कर दी!
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कर्नाटक चुनाव सांप सीढ़ी का खेल था, खड़गे ने पीएम मोदी पर बयान देकर कांग्रेस को 99 पर काट लिया!
कर्नाटक के कलबुर्गी में खड़गे का पीएम मोदी को जहरीला सांप बताना भर था भाजपा ने इसे एक बड़े मुद्दे की तरह ले लिया है. जैसा भाजपा का इतिहास रहा है, यक़ीनन सांप को अलग अलग मंचों से एनाकोंडा की तरह पेश किया जाएगा और हमेशा ही तरह भाजपा का प्रयास यही रहेगा कि वो बयान को वोट में बदल ले.
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मोदी पर निजी हमले के बजाय, हो रहे सामूहिक वैचारिक पतन पर आत्म चिंतन करे विपक्षी दल
विपक्षी दल, भाजपा को हराना तो चाहते हैं, लेकिन बीते 9 वर्षों से अब तक उन्हें यह बोध नहीं हुआ है कि वे लोगों के बीच किन मुद्दों के साथ जाएं और संघर्ष करें. वे कभी मोदी सरकार को पूंजीपतियों की सरकार बता रहे हैं, तो कभी दलित और पिछड़ा विरोधी. लेकिन, उन्हें भी पता है कि प्रधानमंत्री मोदी की जन-कल्याणकारी नीतियों से देश के सवा सौ करोड़ लोगों में जो विश्वास पैदा हुआ है, उनके पास इसका कोई तोड़ नहीं है.
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