New

होम -> सियासत

 |  5-मिनट में पढ़ें  |  
Updated: 27 अप्रिल, 2023 08:05 PM
बिलाल एम जाफ़री
बिलाल एम जाफ़री
  @bilal.jafri.7
  • Total Shares

कर्नाटक का सियासी नाटक अपने क्लाइमेक्स पर आया भी नहीं कि कांग्रेस अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खड़गे जज्बातों के समंदर में बह गए. और फिर जो जुबान फिसली उसने कांग्रेस को इधर उधर भागने पर मजबूर कर लिया है. कर्नाटक के कलबुर्गी में चुनावी सभा के दौरान खड़गे ने वही गलती दोहराई है जिसका इंतजार भाजपा को था. कलबुर्गी की अपनी रैली में कांग्रेस अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खड़गे ने पीएम मोदी को जहरीला सांप बता दिया है. चूंकि भाजपा को ऐसे ही बयानों का इंतजार था चौतरफा आलोचनाओं का दौर शुरू हो गया है. कर्नाटक, खड़गे का गृह राज्य है. इसलिए अब अपने बयान के बाद उनको ये तक समझ में नहीं आ रहा है कि पहले खुद को बचाना है या फिर आप जनता जे सामने लगातार अपना जनाधार खोती कांग्रेस पार्टी को.

सभा में खड़गे ने कहा कि मोदी जहरीले सांप की तरह हैं. आप इसे जहर समझें या न समझें लेकिन अगर आप इसे उत्सुकतावश चखेंगे तो मर जाएंगे.

चूंकि ये बयान किसी और से नहीं बल्कि खड़गे की तरफ से आया था भाजपा ने इसकी कड़े शब्दों में निंदा की है. विवाद बढ़ने के बाद शायद खड़गे को भी ये एहसास हो गया कि उनकी तरफ से भारी ब्लंडर हुआ है उन्होंने अपने बयान पर सफाई दी है. खड़गे ने कहा है कि मैंने उनके (पीएम मोदी) बारे में यह बात नहीं की. मैं व्यक्तिगत बयान नहीं देता. मेरे कहने का मतलब है कि उनकी विचारधारा सांप की तरह है, अगर आप चाटने की कोशिश करेंगे तो मौत होनी तय है.

Karnataka, Assembly Elections, Congress, Mallikarjun Kharge, Snake, Prime Minister, Narendra Modiपीएम मोदी पर बयान देकर खड़गे ने फिर कांग्रेस को मुसीबत में डाल दिया है

 

खड़गे के बयान पर अपनी प्रतिक्रिया देते हुए भाजपा के आईटी सेल के प्रमुख अमित मालवीय ने कहा है कि खड़गे की ये बातें कांग्रेस की हताशा को दर्शा रही हैं. वहीं खगड़े की बातों पर केंद्रीय मंत्री अनुराग ठाकुर ने भी अपनी नाराजगी जाहिर की है. अनुराग ठाकुर ने कहा है कि मल्लिकार्जुन खड़गे को कांग्रेस का अध्यक्ष तो बना दिया गया है, लेकिन कोई उनकी सुनता ही नहीं है. इसलिए ऐसा क्या बोल दूं कई सोनिया गांधी से भी आने निकल जाऊं

(ध्यान रहे पूर्व में सोनिया गांधी ने भी प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के खिलाफ अभद्र टिप्पणी की थी और उन्होंने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को मौत का सौदागर बताया था ) यहां हमारे लिए ये जान लेना बहुत जरूरी है कि सोनिया ने 2007 में जब ये बात कही थी गुजरात में विधानसभा के चुनाव होने थे. मामले में दिलचस्प ये रहा कि तब पूरा चुनाव कांग्रेस लीडरशिप वर्सेज मोदी हुआ था और भाजपा ने इसे खूब भुनाया था. इसका फायदा भाजपा को मिला था और उसने गुजरात में ऐतिहासिक जीत दर्ज की थी.

2007 की ही तरह 2014 के लोकसभा चुनाव से पहले कांग्रेस नेता मणिशंकर अय्यर के द्वारा पीएम मोदी को चाय वाला बताना भर था. भाजपा ने इसे एक कैम्पेन की तरह पेश किया और फिर जो हुआ वो इतिहास में दर्ज हो गया है. इसी तरह 2017 में जब मणिशंकर अय्यर ने पीएम को नीच कहा था तो भी भाजपा ने अय्यर के इस बयान को हाथों हाथ लिया था. खुद पीएम मोदी ने इस बयान को कैश किया था और भाजपा को बढ़त दिलाई.

ध्यान रहे आत्महत्या पर पीएम के एक जोक को अभी कांग्रेस ढंग से मुद्दा बना भी नहीं पाई थी. ऐसे में मल्लिकार्जुन खड़गे के सामने आने और सब बराबर कर देने ने राहुल गांधी की उम्मीदों पर मट्ठा डालने का काम किया है. जिक्र आत्महत्या पर प्रधानमंत्री के जोक का हुआ है तो बता दें कि अभी बीते दिनों ही पीएम एक कार्यक्रम को संबोधित कर रहे थे. उन्होंने आत्महत्या पर एक चुटकुला सुनाया जिसे सुनकर लोग हंसने को विवश हो गए.

पीएम मोदी ने कहा कि, बचपन में एक चुटकुला हम सुनते थे. वो मैं बताना चाहता हूं. एक प्रोफ़ेसर थे और उनकी बेटी ने आत्महत्या की और चिट छोड़कर गयी कि मैं जिंदगी से थक गयी हूं और जीना नहीं चाहती हूं तो मैं तालाब में कूदकर मर जाउंगी. प्रोफ़ेसर ने सुबह देखा कि बेटी घर पर नहीं है. तो बिस्तर में चिट्ठी मिली. तो पिता जी को बड़ा गुस्सा आया कि इतने साल मैंने मेहनत की और स्पेलिंग गलत लिखकर जाती है.

बता दें कि चाहे वो राहुल गांधी रहे हों या फिर प्रियंका गांधी वाड्रा कांग्रेस के इन दोनों ही बड़े नेताओं ने पीएम मोदी के इस जोक पर अपनी आपत्ति दर्ज की थी और कहा था कि मेन्टल सिचुएशन का असंवेदनशील ढंग से मजाक बनाने के बजाए जागरूकता पैदा करने की जरूरत है.

बहरहाल जिक्र खड़गे के बयान का हुआ है. तो जैसा भाजपा का इतिहास रहा है, यक़ीनन सांप को अलग अलग मंचों से एनाकोंडा की तरह पेश किया जाएगा और हमेशा ही तरह भाजपा का प्रयास यही रहेगा कि वो बयान को वोट में बदल ले.

ये भी पढ़ें -

मोदी पर निजी हमले के बजाय, हो रहे सामूहिक वैचारिक पतन पर आत्म चिंतन करे विपक्षी दल

भले ही उमेश पाल 2023 में मरा, लेकिन अतीक ने इस मौत की स्क्रिप्ट 2012 में ही लिख दी थी!

सूडान में फंसे भारतीयों के लिए संजीवनी सरीखा है 'ऑपेरेशन कावेरी' जिसपर नजर सबकी है!

#कर्नाटक, #विधानसभा चुनाव, #कांग्रेस, Karnataka Assembly Elections, Congress, Mallikarjun Kharge

लेखक

बिलाल एम जाफ़री बिलाल एम जाफ़री @bilal.jafri.7

लेखक इंडिया टुडे डिजिटल में पत्रकार हैं.

iChowk का खास कंटेंट पाने के लिए फेसबुक पर लाइक करें.

आपकी राय