सियासत | बड़ा आर्टिकल
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पाकिस्तान के 4 नहीं 40 टुकड़े होंगे, 3 किमी फांसले पर बसे अटारी-वाघा में आटा-तेल की कीमत से यूं समझें
पाकिस्तान भारतीयों से घृणा और मजहब के आधार पर एक अलग देश बना था. भारत और पाकिस्तान के बीच तीन किमी दूरी में आटा-दाल की कीमतों से 74 साल बाद समझा जा सकता है कि वह फैसला कितना गलत था. भारत जरूर अमेरिका या चीन नहीं बन पाया, मगर जितना भी है पाकिस्तान नहीं जाने वाले अपने फैसले पर गर्व कर सकते हैं.
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पार्टी के नेताओं का कोई सार्वजनिक बयान निजी कैसे हो सकता है?
दिग्विजय सिंह द्वारा सर्जिकल स्ट्राइक पर सवाल उठाना भर था. मामले ने तूल पकड़ लिया और दिलचस्प ये रहा कि राहुल गांधी समेत कांग्रेस पार्टी के तमाम नेताओं ने खुद को दिग्विजय सिंह के बयान से अलग कर लिया है. सवाल ये है कि पार्टी के नेताओं का सार्वजनिक दिया गया बयान निजी कैसे हो सकता है?
समाज | एक अलग नज़रिया | 3-मिनट में पढ़ें

छत्तीसगढ़ में पहली महिला अग्निवीर ने साबित किया कि सरकार का यह फैसला गलत नहीं था
हिषा के जो हालात हैं, उसके लिए यह नौकरी किसी सुनहरे अवसर से कम नहीं है. उसे इस नौकरी की सख्त जरूरत थी. उसका आत्मविश्वास चेहरे से झलक रहा है. एक छोटे से गांव की लड़की ने सपना देखने की हिम्मत की और आज अग्निवीर की बदौलत वह सच हो गया.
ह्यूमर | 7-मिनट में पढ़ें

देश की पहली मुस्लिम महिला पायलट सानिया मिर्ज़ा की बदौलत मुसलमानों के अच्छे दिन आ ही गए!
मिर्ज़ापुर सुर्ख़ियों में है. वजह बनी है सानिया मिर्ज़ा वो लड़की जिसका एनडीए का एग्जाम क्वालीफाई करना भर था. एक वर्ग ने उसे देश की पहली महिला पायलट बना दिया. यदि वाक़ई ऐसा है तो देश के मुसलमानों का अपनी इस बेटी पर गर्व करना और उसे देखकर इतराना बनता है.
समाज | 5-मिनट में पढ़ें

जब यूपीए सरकार में भारत-चीन सीमा टकराव की रिपोर्टिंग करने वाले दो पत्रकारों पर FIR हुई थी!
सवाल है, तत्काल सेना या सरकार के वर्ज़न को कॉन्ट्रडिक्ट क्यों किया जाए? खासकर तब जब दुश्मन देश अलग ही राग अलाप रहा हो! और नहीं तो चीन से ही सबक लीजिये जिसने गलवान में अपने हताहत सैनिकों का खुलासा किया ही नहीं और जो भी पता चला, कालांतर में ही चला!
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'कांग्रेसियों' को चीन-Pok पर सवाल उठाने का नैतिक हक नहीं, सवालों में पाकिस्तानी दुर्गंध!
भारत-चीन विवाद में विपक्षी सवाल दुर्भाग्य से पाकिस्तान और चीनी प्रतिक्रियाओं से भी गए गुजरे हैं. कम से कम चीन के कम्युनिस्ट पार्टी के साथ एमओयू साइन करने वालों और डोकलाम विवाद में अंधेरे में मुंह छिपाकर चीनी दूतावास जाने वालों को तो सवाल करने से शर्म करना चाहिए.
सियासत | 3-मिनट में पढ़ें
सियासत | 6-मिनट में पढ़ें