समाज | बड़ा आर्टिकल

International Mother Language Day: अपनी मातृभाषा पर गर्व करें
भारत ही नहीं, अपितु विश्व भर के विद्वान भी मातृभाषा में शिक्षा प्रदान किए जाने को महत्व देते हैं. शिक्षा शास्त्रियों और मनोवैज्ञानिकों का मत है कि मातृभाषा में सोचने से, विचार करने से, चिंतन मनन करने से बालकों में बुद्धि तीक्ष्ण होकर कार्य करती है. संवाद की सुगम भाषा मातृभाषा है.
समाज | 7-मिनट में पढ़ें

विश्व हिंदी दिवस: कुछ खरी खरी सुनने सुनाने की जरूरत आन पड़ी है!
World Hindi Day 2023: हिंदी प्रतिष्ठित हो रही है. अब किसी की जुर्रत नहीं है कहने की कि यदि सुंदर पिचाई आईआईटी में हिंदी में परीक्षा देते तो क्या गूगल में टॉप पोस्ट पर होते? निःसंदेह होते. मल्टीनेशनल जायंट के लिए ज्ञान मायने रखता है और ज्ञान भाषा का मोहताज नहीं होता.
संस्कृति | बड़ा आर्टिकल

...तो आज की तारीख में फारसी भारत की राष्ट्रभाषा होती, संस्कृति के नाम पर रोना बंद करें!
अकबर ने इस्लामिक सांस्कृतिक उपनिवेश बनाने के लिए फारसी को रातोंरात जबरदस्ती थोपने की कोशिश की थी. फारसी ने नाजायज हिंदुस्तानी को बनाया. हिंदुस्तानी को वापस फारसी पर लाने की कोशिशों में उर्दू हुई. 500 साल की कोशिशों के बावजूद जब भारत फारसीमय या उर्दूमय नहीं हो पाया तो आज की तारीख में अंग्रेजी का भय दिखाना बेकार है.
समाज | 3-मिनट में पढ़ें

हिंदी दिवस को एक और वर्ष बीत गया लेकिन आज भी स्थिति कोई बहुत अच्छी नहीं है!
हिंदी दिवस भले ही ख़त्म हो गया हो लेकिन कहा यही जाएगा कि हम वो लोग हैं जो हिंदी में ही सोचते हैं, हिंदी ही पढ़ते और सुनते हैं, हिंदी ही लिखते हैं इसलिए कहीं न कहीं हमारी दिली इच्छायही है कि हमारा हिंदुस्तानी समाज हिंदी बोलने को ही प्राथमिकता दे और हर घर हिंदी, हर दर हिंदी नजर आये.
समाज | बड़ा आर्टिकल

Hindi Diwas 2022: हिंदुस्तान की अपनी राष्ट्र भाषा क्यों नहीं होनी चाहिए?
'हिन्दी संस्कृत की बेटियों में सबसे अच्छी और शिरोमणि है.' ये शब्द बहुभाषाविद और आधुनिक भारत में भाषाओं का सर्वेक्षण करने वाले पहले भाषा वैज्ञानिक जॉर्ज अब्राहम ग्रियर्सन के हैं. नि:संदेह हिन्दी देश के एक बड़े भू-भाग की भाषा है. महात्मा गांधी ने हिन्दी को जनमानस की भाषा कहा था. वह कहते थे कि राष्ट्रभाषा के बिना राष्ट्र गूंगा है.
समाज | बड़ा आर्टिकल

जिस 'देस' में कोस कोस पर पानी बदले, चार कोस पर वाणी, निःसंदेह हिंदी कॉमन है
हिंदी को लेकर एक वर्ग विशेष का विरोध कोई नयी बात नहीं है. ऐसे भी लोग हैं जो एक भाषा के ,रूप में हिंदी को हिंदू से जोड़ देते हैं. कह सकते हैं कि जो हम बोल रहे हैं, लिख रहे हैं, वह 'हिंदी' की जगह कुछ और नाम से जानी जाती तो शायद विरोध होता ही नहीं!
समाज | 2-मिनट में पढ़ें

सरलीकरण और आधुनिकीकरण के कारण 'हिंग्लिश' के रूप में परिवर्तित होती हिंदी
कहा जाता है कि किसी भी भाषा (Language) का अस्तित्व उसकी शुद्ध वर्तनी और व्याकरण में निहित होता है. यह हिंदी से लेकर सभी भाषाओं पर लागू होता है. लेकिन, सरलीकरण और आधुनिकता के नाम पर 'हिंग्लिश' (Hinglish) की ओर बढ़ना हिंदी (Hindi) के साथ न्याय नजर नहीं आता है.
समाज | 5-मिनट में पढ़ें
सियासत | 5-मिनट में पढ़ें
