समाज | 5-मिनट में पढ़ें
12 बच्चे पैदा करने की बात कहने वाले आशिक का 11 पन्नों का सुसाइड नोट है बड़ा इंटरेस्टिंग...
हरियाणा के हिसार में प्यार में नाकाम आशिक ने आत्महत्या की है और उससे पहले एक दो नहीं पूरे 11 पन्नों का 'खत' लिखा है. सुसाइड नोट का जैसा कंटेंट है वो आंख नम करने वाला है या चेहरे पर मुस्कान बिखेरने वाला फैसला जनता खुद कर ले.
समाज | एक अलग नज़रिया | 2-मिनट में पढ़ें
समाज | 5-मिनट में पढ़ें
कुत्ते को सूली पर चढ़ाने वाले 3 'जानवरों' का इलाज सख्त से सख्त सजा है, इसके अलावा कुछ नहीं!
गाजियाबाद के लोनी में तीन लोगों द्वारा एक कुत्ते को फांसी पर लटकाने का वीडियो इंटरनेट पर वायरल हुआ है. चूंकि मामले को लेकर लगातार प्रतिक्रियाएं आ रही हैं पुलिस ने तीन लोगों को तलब किया है और वीडियो को 3 महीना पुराना बताया है. पुलिस मामले की गंभीरता से जांच करे और दोषियों को सख्त से सख्त सजा दे.
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सियासत | 5-मिनट में पढ़ें
आतंकी यासीन मालिक की सज़ा: देर आया और कम आया
यासीन मलिक आतंक का साथ देने वाला ही नहीं बल्कि JKLF जैसे समूह को बनाने वाला खुद एक आतंकवादी था, जिसने कश्मीर में चुन चुन कर कश्मीरी पंडितों का सफाया किया. उस पर भी अरुंधति रॉय, फारूक अब्दुल्ला महबूबा मुफ़्ती और ओमर अब्दुल्ला समेत कइयों के ख्याल में इन्हे एक मौका मिलना था!
सियासत | 6-मिनट में पढ़ें
Bhagat Singh कैसे जोड़ते भारत और पाकिस्तान को?
भगत सिंह (Bhagat Singh) एक इस तरह की शख्सियत हैं जिन्हें दोनों देशों की जनता आदरभाव से देखती है. भगत सिंह भारत के तो निर्विवाद नायकों में से एक मुख्य हैं ही. वे पाकिस्तान में भी बहुत आदर के भाव से देखे जाते हैं. इस लिहाज हमें भगत सिंह के अलावा कोई दूसरी शख्सियत नहीं मिलती.
सियासत | 6-मिनट में पढ़ें
Kangana Ranaut ने एक्टर विक्रम गोखले की बात को अंजाम तक पहुंचा ही दिया!
पद्मश्री पुरस्कार विजेता एक्ट्रेस कंगना रनौत (Kangana Ranaut) अपने फिल्म प्रोजेक्ट्स से इतर इन दिनों 'इतिहासकार' की भूमिका निभा रही हैं. 1947 में मिली आजादी को 'भीख' में मिला बताने वाली कंगना रनौत ने अब महात्मा गांधी (Mahatma Gandhi) के अहिंसा के मंत्र को कठघरे में खड़ा कर भगत सिंह का समर्थन नहीं करने का आरोप भी लगा दिया है.
सियासत | 6-मिनट में पढ़ें
शहीद सुखदेव का महात्मा गांधी को लिखा पत्र कई सवाल खड़े करता है
एक पत्र सोशल मीडिया पर जंगल की आग की तरह फैल रहा है और जिसे महान क्रांतिकारी सुखदेव ने उस वक़्त लिखा था जब 5 मार्च 1931 को महात्मा गांधी और तत्कालीन वायसराय लार्ड इरविन के बीच एक पॉलिटिकल एग्रीमेंट हुआ था. सुखदेव का पत्र एक नेता के रूप में महात्मा गांधी पर सवाल खड़े करता नजर आ रहा है.
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