समाज | एक अलग नज़रिया | 3-मिनट में पढ़ें
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समाज | एक अलग नज़रिया | 3-मिनट में पढ़ें
देह के शिकारियों के लिए दिल्ली महिला आयोग अध्यक्ष का महिला होना काफी है
स्वाति मालीवाल के साथ बदसलूकी हुई है और इसमें हैरान होने वाली कोई बात नहीं है, क्योंकि आखिरकार हैं तो वे एक लड़की ही. क्योंकि छे़ड़खानी करने वालों को लगता है कि लड़की है तो छेड़ा जा सकता है...लड़की है क्या कर लेगी? लड़की है मतलब कमजोर है? लड़की है कहां जाएगी?
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कोरियाई यूट्यूबर से छेड़छाड़ करने वालों पर शर्मिंदा न हों, बहुसंख्यक तो अथर्व जैसे हीरो ही हैं
कोरियाई लड़की (Korean Girl) से छेड़छाड़ (Molest) करने वाले मोबीन और मोहम्मद की वजह से जो शर्मिंदगी महसूस की जा रही है. वो हमारे समाज के बहुसंख्यक अथर्व जैसे लोगों को नहीं महसूस करनी चाहिए. क्योंकि, अथर्व को महिलाओं का सम्मान करने के संस्कार पहले से ही मिले हुए हैं. लेकिन, मोबीन और मोहम्मद जैसे छपरियों के लिए लड़कियां सिर्फ इस्तेमाल किए जाने की चीज ही हैं.
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ऑटो और कैब में लगा रियर व्यू मिरर लड़कियों के मन में दहशत ही पैदा करता है
मुंबई के एनजीओ वॉचडॉग फाउंडेशन ने सीएम एकनाथ शिंदे और राज्य के परिवहन अधिकारियों से ऑटो में लगे शीशे को हटाने की मांग की है. एनजीओ ने अपनी शिकायत में कहा है कि ऑटो में यात्रा करने के दौरान ड्राइवर महिलाओं खासकर लड़कियों को काफी देर तक घूरते हैं जिससे वे असहज महसूस करती हैं.
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लाइगर का 'आफत' गाना, एक रोमांटिक गाने में 'रेप फैंटासी' क्यों?
लाइगर फिल्म का गाना 'आफत' बलात्कार संस्कृति को ऐसे सजा कर पेश कर रहा है, जैसे यह कितनी सामान्य सी बात है... इस गाने की एक लाइन ऐसी है जो बॉलीवुड के उस दौर में ले जाती है, जब फिल्मों में मजबूर महिला खुद को बचाने के लिए रेपिस्ट के सामने हांथ जोड़कर गुहार लगाती है कि 'भगवान के लिए मुझे छोड़ दो..'
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