समाज | 4-मिनट में पढ़ें
क्यों समाज महिलाओं को हर समय बेहद खास बनाने पर तुला है?
समाज आज यह बताने में व्यस्त है कि महिलाएं बहुत ख़ास हैं और हमारी लड़ाई ही इसी बात की है कि हमें ख़ास नहीं बनना, सामान्य बनना है. इतना सामान्य कि हम कुछ हासिल कर लें तो मोटिवेशन के नाम पर तालियां न पीटी जाएं. इतना सामान्य कि आप हमारे लिये कुछ करके यह न गाते फिरें कि हमने अपनी बेटी के लिये ऐसा किया. इतना सामान्य कि हम अपने निर्णयों को आख़िरी मानना सीख लें और समाज का मुंह न ताकें जो हमें ट्युटोरियल दे.
सोशल मीडिया | 5-मिनट में पढ़ें
समाज | 4-मिनट में पढ़ें
श्रद्धा मर्डर केस के बाद 'लिव-इन रिलेशनशिप' का विरोध क्यों हो रहा है?
सुप्रीम कोर्ट (Supreme Court) कह चुका है कि 'लिव-इन रिलेशनशिप (Live-In Relationship) कोई अपराध नहीं है. किसी के साथ लिव-इन में रहने का फैसला पूरी तरह से निजी है.' और, लिव-इन में रहने वाली युवतियों, महिलाओं (Woman) को एक शादीशुदा महिला की तरह ही घरेलू हिंसा से लेकर संपत्ति तक के अधिकार मिलते है. लेकिन, लिव-इन रिलेशनशिप पर किसी तरह का प्रतिबंध नहीं है.
समाज | 3-मिनट में पढ़ें
हिजाब बैन के लिए हल्ला मचाने से पहले ईरान में 'बेहिजाबी' मार दी गई लड़की को जान लीजिये
मासा ने हिजाब पहना था लेकिन ईरान की मोरल पुलिसकर्मी को लगा कि उसने हिजाब को सही तरीक़े से नहीं पहना है, इसलिए मासा को गिरफ़्तार करके डिटेंशन सेंटर ले गयी. जहाँ मासा को इतना मारा गया कि पहले वह कोमा में गयी और फिर उसकी मौत हो गयी..
समाज | एक अलग नज़रिया | 4-मिनट में पढ़ें
सिनेमा | 4-मिनट में पढ़ें
स्वरा भास्कर की फिल्म जहां चार यार: क्या गाली देना, सेक्स का जिक्र करना ही महिला सशक्तिकरण है?
एक्टर स्वरा भास्कर एक बार फिर चर्चा में हैं. कारण है उनकी आने वाली फिल्म जहां चार यार. फिल्म का ट्रेलर आ गया है. ट्रेलर से साफ़ है कि, इस फिल्म में ऐसा कुछ नहीं है जिसे देखकर कहा जाए कि ये फिल्म महिलाओं को, और उनके सशक्तिकरण को समर्पित है.
समाज | 2-मिनट में पढ़ें
फेसबुकिया फेमिनिस्टों की सतही क्रांतियां किन औरतों का भला करेंगी?
फेमिनिज्म पर फेमिनिस्टों के सोशल मीडिया पर अपने तर्क हैं. सभी फेमिनिस्टों को फ़ेस्बुक से निकल कर ज़रा हक़ीक़त की दुनिया में जाना चाहिए. 'आह दीदी'-'वाह दीदी' वाले झुंड से निकल कर उन औरतों से मिलना चाहिए जिनको घर में ही रेप-फ़िज़िकल एब्यूज़, मार-कुटाई का सामना करना पड़ रहा है.
सोशल मीडिया | एक अलग नज़रिया | 4-मिनट में पढ़ें
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