सियासत | 3-मिनट में पढ़ें
'सेक्युलरवाद' के जरिए राजनीतिक पार्टियों का फायदा तो है!
भारतीय सेक्युलरवाद दैवी बनाम सांसारिक न हो कर सर्वधर्मसमभाव का है. यह बहुलता के प्रति सहनशीलता और राज करने के नियमित सिद्धांत के रूप में मान्यता देने का है. पर भारतीय और पश्चिमी सेक्युलरवाद में फर्क करने का मतलब यह नहीं है कि हम राज्य की सेक्युलर पहचान पर ही सवाल उठाना शुरू कर दें.
समाज | बड़ा आर्टिकल
सियासत | 6-मिनट में पढ़ें
राहुल गांधी की कैंब्रिजीय कहानियों की जमीन कहां है?
भारत में दिए गए राजनीतिक भाषणों की तर्ज परकैंब्रिज में राहुल गांधी ने अपने सामान्य निरर्थक विचारों और झूठे दावों के साथ माहौल बनाने की कोशिश की हो. लेकिन वो अपनी ही कही बातों में कुछ ऐसा उलझे कि कहानी सुनने वाले लोगों के लिए कहानी के सिरे पकड़ना मुश्किल ही नहीं नामुमकिन हो गया.
सियासत | 6-मिनट में पढ़ें
Sedition Law: अंग्रेजो के जमाने का काला कानून आजाद भारत का लाड़ला क्यों हैं?
मई 2022 में सुप्रीम कोर्ट द्वारा करीब डेढ़ सदी पुराने राजद्रोह कानून पर अपना फैसला सुनाते हुए रोक लगा दी गयी थी. सुप्रीम कोर्ट के इस फैसले से उन लोगों को जमानत मिलने की उम्मीद देने का काम किया है जो इस कानून की वजह से लंबे समय से जेल में हैं.
सियासत | 4-मिनट में पढ़ें
One Nation, One Election लागू करना पीएम मोदी के लिए इतना भी आसान नहीं!
तमाम मौके आए हैं जब हमने देश के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को एक देश एक चुनाव के पक्ष में माहौल बनाते देखा है. विपक्ष को कभी भी प्रधानमंत्री का ये आईडिया पसंद नहीं आया है और उसने हमेशा ही इसका विरोध किया है. वहीं अगर बात जनता की हो तो इस मुद्दे पर हमें जनता भी बंटी हुई नजर आती है.
सियासत | बड़ा आर्टिकल
सियासत | 4-मिनट में पढ़ें
भारत मे जितने दल हैं, उनके सबके अपने अपने लोकतंत्र हैं...
जिस सवाल से दुनिया आज यहां पहुंची है, वही सवाल भारत मे आंखों के सामने मरता रहा और हम खामोश होकर देखते रहे. कोरोना की कहर ने भारत की तमाम तरह की सरकारों के रवैय्ये को तार तार कर दिया. पर सरकारों में आस्था रखने वालों ने भी अपनी अपनी सरकारों से सवाल नही किया. यही भारतीय लोकतंत्र की मौत है.
समाज | 4-मिनट में पढ़ें
हंगामाखेज नहीं, समाधानमूलक हो लोकतंत्र का चौथा स्तंभ
The Fourth Pillar of Democracy: संचार का उद्देश्य समस्याओं का समाधान देना रहा है. संचार क्षेत्र के अधिष्ठाता देवर्षि नारद की संचार प्रक्रिया एवं सिद्धांतों को जब हम शोध की दृष्टि से देखते हैं तब भी हमें यही ध्यान आता है कि उनका कोई भी संवाद सिर्फ कलह पैदा करने के लिए नहीं था.
सियासत | 4-मिनट में पढ़ें


