सियासत | बड़ा आर्टिकल

क्या आप सुप्रीमो अरविंद केजरीवाल छोड़ देंगे I.N.D.I.A. का दामन?
दिल्ली सर्विस अमेंडमेंट बिल पर चर्चा के दौरान गृहमंत्री अमित शाह ने कांग्रेस को पंडित नेहरू, सरदार वल्लभ भाई पटेल और डॉ अंबेडकर की बातों को याद दिलाकर राजनीतिक रोटियां सेंकने की कोशिश की होगी, लेकिन कांग्रेस के लिए गठबंधन की मजबूरियों में न फंसकर आम आदमी पार्टी से सावधान रहने की नसीहत के पीछे कई गूढ़ रहस्य छिपे हैं, ये कांग्रेसी भी दबी जुबान में स्वीकार करते हैं.
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लव मैरिज पर गुजरात के मुख्यमंत्री का कथन एक नई बहस को जन्म देता तो है!
एक सामाजिक समस्या का समाधान करने के लिए गुजरात सरकार ने इसके बारे में सोचा है. परंतु इस बात को जरूर ध्यान देना है कि अनैतिक और गैरकानूनी दोनों में बहुत फर्क है. लिव-इन रिलेशनशिप अनैतिक हो सकती है, पर वो गैरकानूनी नहीं है. अगर आप शादी करना चाहते हैं जो आपके माता-पिता की इच्छा के विरुद्ध है, वो सामाजिक तौर पर गलत हो सकता है. अनैतिक हो सकता है, पर गैरकानूनी नहीं है.
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शरद पवार को अजित ने गुरु दक्षिणा में दिया धोखा !
अजित पवार ने अपने चाचा से सियासत की एबीसीडी सीखी है, अपने गुरु और चाचा शरद पवार को धोखा देकर उन्होंने प्रमाणित कर दिया कि अब वो सियासत का महत्वपूर्ण सेमेस्टर पास कर चुके हैं. अजित पवार ने साबित कर दिया कि राजनीति में गुरु दक्षिणा में धोखा भी दिया जाता है.
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कभी केजरीवाल अपने आप को कांग्रेस का विकल्प बता रहे थे, आज मांग रहे है सबका समर्थन!
दिल्ली में अफसरों की ट्रांसफर-पोस्टिंग के मुद्दे पर मोदी सरकार और केजरीवाल सरकार एक-दूसरे की बांह मरोड़ने में जुटी हैं. दिल्ली के अधिकारी किसकी सुनेंगे ये फैसला 11 मई को सुप्रीम कोर्ट में 5 जजों की बेंच ने कर दिया. जिसमें साफ कहा गया कि पब्लिक ऑर्डर, पुलिस और जमीन को छोड़कर उप-राज्यपाल बाकी सभी मामलों में दिल्ली सरकार की सलाह और सहयोग से ही काम करेंगे.
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डीके शिवकुमार या सिद्धारमैया? कहीं कर्नाटक में राजस्थान जैसे हालात न हो जाएं!
कर्नाटक में भले ही कांग्रेस पार्टी ने ऐतिहासिक जीत दर्ज की हो लेकिन हाई कमांड और राहुल गांधी के सामने जो बड़ा प्रश्न है, वो ये कि राज्य का मुख्यमंत्री कौन होगा? कर्नाटक में डीके शिवकुमार और सिद्धारमैया के बीच जैसा गतिरोध चल रहा है कांग्रेस के सामने चुनौतियों का पहाड़ है.
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43 डिग्री तापमान में सचिन पायलट की यात्रा के सियासी मायने क्या हैं?
सचिन पायलट अभी निर्णय लेने वाले पद पर नहीं रहे हैं. इसलिए टेस्टेड नहीं है. उपमुख्यमंत्री के रूप में काम काज की तारीफ होती है. ईमानदार नेता की छवि रही है. अगर, सचिन पायलट को निकाला जाता है तो उस सहानुभूति में राजस्थान में कांग्रेस को बड़ा नुकसान हो सकता है.
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