समाज | एक अलग नज़रिया | 2-मिनट में पढ़ें

क्लास में छात्राओं को बुर्का पहनने की जरूरत ही क्या है?
हमारे हिसाब से यह सिर्फ राजनीति है और कुछ नहीं. इसके जरिए सिर्फ बुर्के का प्रचार किया जा रहा है. अगर क्लास में बुर्के से इतनी परेशानी है तो फिर इन छात्राओं को घर से बाहर ही नहीं निकलना चाहिए. खुद को पूरी तरह छिपाने के लिए घर की चारदीवारी से बेहतर कौन सी जगह है?
समाज | एक अलग नज़रिया | 4-मिनट में पढ़ें

स्विगी बैग वाली महिला ने साबित किया, जब बात बच्चों की हो तो मां से शक्तिशाली कोई नहीं
स्विगी बैग के साथ बुर्के में दिखने वाली इस महिला का नाम रिजवाना है. जो बेहद गरीब परिवार से है. उसकी शादी 23 साल पहले हुई थी. पति के जाने के बाद रिजवाना ने हार नहीं मानी और अपने बच्चों के लिए जीने की ठानी. उसने सोचा कि कितनी भी मुश्किल क्यों ना आए वह अपने बच्चों का सहारा बनेगी. अब वह अकेले ही अपने बच्चों को पाल रही है.
सोशल मीडिया | 3-मिनट में पढ़ें

बुर्के के साथ एंट्री, लेकिन चूड़ी-पायल-झुमके की मनाही! असली सेकुलरिज्म यही है
सोशल मीडिया पर एक वीडियो वायरल हो रहा है. जो बीते रविवार को हुई तेलंगाना (Telangana) राज्य लोक सेवा आयोग की ग्रुप 1 की प्रारंभिक परीक्षा का है. वीडियो में एक परीक्षा केंद्र पर बुर्का (Burqa) पहने हुए एक महिला को आसानी से एंट्री दी जा रही है. वहीं, कुछ महिलाओं को परीक्षा केंद्र में घुसने से पहले खुद ही अपनी चूड़ियां तोड़ते, पायल और झुमके उतारते देखा जा सकता है.
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समाज | बड़ा आर्टिकल

हिजाब मामले की चल रही सुप्रीम सुनवाई बेहतरीन कोर्ट रूम ड्रामा ही है!
भारत में हिजाब को लेकर जो बवाल मचा है कहा यही जाएगा कि जरूरत संतुलन की नहीं, बल्कि बड़े हित में कड़ा फैसला लेने की है. परसाई जी को गलत साबित करने की है! और जब भारत धर्मनिरपेक्ष राष्ट्र कहलाता है तो प्रो हिजाब होने का क्या तुक खासकर तब जब ईरान सरीखे कट्टर इस्लामिक देश में एंटी हिजाब मुहीम ने जोर पकड़ रखा है। #नो टू हिजाब ईरान से पहले तो भारत में होना चाहिए था ना!
समाज | 2-मिनट में पढ़ें

हिजाब को 'चॉइस' मानने वालों की ईरान मामले में शातिर चुप्पी क्या कहती है?
इस्लामिक कट्टरपंथियों के लिए मुस्कान जैसी लड़कियां हमेशा हथियार रहेंगी, और महसा अमीनी खतरा. भारत में कल्पना कीजिये कि यदि मुस्कान जैसी लड़की अगर रोल मॉडल बनने लगी तो उसी के मोहल्ले में रहने वाली कोई महसा अमीनी जैसी लड़की का हश्र क्या होगा?
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ईरान और भारत में हिजाब के मुद्दे पर महिलाएं विपरीत, लेकिन पुरुष सेम पेज पर
ईरान में 'मॉरेलिटी पुलिस' की हिरासत में 22 वर्षीय महसा अमिनी की मौत ने बड़े पैमाने पर विरोध प्रदर्शन शुरू कर दिया है. ईरानी महिलाएं सड़कों पर हैं, हिजाब जला रही हैं और अपना आक्रोश दिखाने के लिए अपने बाल काट रही हैं. वहीं जैसा पुरुषों का रवैया है वो यही चाहते हैं कि महिला ज़िंदगी भर पर्दे में ही रहे.
समाज | 3-मिनट में पढ़ें

हिजाब बैन के लिए हल्ला मचाने से पहले ईरान में 'बेहिजाबी' मार दी गई लड़की को जान लीजिये
मासा ने हिजाब पहना था लेकिन ईरान की मोरल पुलिसकर्मी को लगा कि उसने हिजाब को सही तरीक़े से नहीं पहना है, इसलिए मासा को गिरफ़्तार करके डिटेंशन सेंटर ले गयी. जहाँ मासा को इतना मारा गया कि पहले वह कोमा में गयी और फिर उसकी मौत हो गयी..
समाज | एक अलग नज़रिया | 5-मिनट में पढ़ें