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Updated: 21 सितम्बर, 2022 10:11 PM
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कर्नाटक (karnataka) में जब छात्राओं को स्कूल में हिजाब पहनकर आने से रोका गया तो उसके बाद हुए हंगामे में पुरुषों की एक बड़ी तादाद मुस्लिम लड़कियों की हमदर्द बनकर उभरी थी, जो ईरान में हिजाब ना पहनने पर मार दी गई लड़की को लेकर खामोश हो गई है.

आईये समझते हैं क्यों...

कट्टरपंथ का उद्देश्य महिलाओं को आगे बढ़ता देखने में नहीं, बल्कि उन्हें धार्मिक चादर पहनाकर घर की चाहरदीवारी में कैद करना है. इसीलिए मुस्कान उनके लिए पोस्टर गर्ल है, जबकि ईरान की महसा अमिनी धर्म-विरोधी. अब धर्म-विरोध को कट्टरपंथी 'चॉइस' कैसे मान सकते हैं?

Iran Hijab Row, Iran Protest, Iran Protesters Killed, Iran women death, Iran news, What is hijab issue in Iran, hijab, Iranian women burn hijabs, why  Iranian women burn hijabकट्टरपंथ का उद्देश्य महिलाओं को आगे बढ़ता देखने में नहीं, उन्हें धार्मिक चादर पहनाकर घर की चाहरदीवारी में कैद करना है

मुस्कान को लेकर जो लोग 'फ्रीडम ऑफ चॉइस' के पैरोकार बन रहे थे, उन्होंने महसा अमीनी की मौत से मुंह मोड़कर खुद के दोगलेपन को बेपर्दा कर दिया है. भारत में कुछ निर्लज्ज तो ऐसे भी हैं, जो कर्नाटक की छात्राओं के हिजाब पहनने को सही बता रहे हैं, और साथ ही ये भी कह रहे हैं कि ईरान में महसा ने हिजाब न पहनकर गलती की, और अपने कर्मों की सजा भुगती है.

इस्लामिक कट्टरपंथियों के लिए मुस्कान जैसी लड़कियां हमेशा हथियार रहेंगी, और महसा अमीनी खतरा. भारत में कल्पना कीजिये कि यदि मुस्कान जैसी लड़की अगर रोल मॉडल बनने लगी तो उसी के मोहल्ले में रहने वाली कोई महसा अमीनी जैसी लड़की का हश्र क्या होगा?

भारत में इस्लामिक शरिया कानून लागू करवाने वाली कोई पुलिस तो नहीं है, लेकिन कट्टरपंथियों की पुलिसिंग से उन लड़कियों को कौन बचाएगा जो अपनी मर्जी से अपना पहनावा पहनना चाहती हैं, और अपनी शर्तों पर जिंदगी जीना चाहती हैं...

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