सियासत | 4-मिनट में पढ़ें
हम अमर जवान ज्योति का चिराग़ हैं, गर्व की अनुभूति के लिए प्रमाण नहीं चाहिए!
देश के जांबाज़ों की यादों की अमर ज्योति हमारे दिल-ओ-दिमाग़ों में रोशन थी, रौशन हैं और रोशन रहेगी. क्यों न रहे, हमारा वजूद ही इनसें है. क्योंकि हम इस ज्योति के चिराग हैं. साइंस, सहाफत और सेना.. का गौरवशाली इतिहास हमारी खानदानी विरासत से जगमगाया है. हमें गर्व की अनुभूति के लिए प्रमाण नहीं चाहिए.
सियासत | 5-मिनट में पढ़ें
कल अमर जवान ज्योति के बुझने पर सवाल होंगे, जवाबों को सही-सही देने के लिए तैयार रहे सरकार!
अमर जवान ज्योति जलाने का फैसला सन् 1971 के भारत-पाक युद्ध के बाद हुआ. वह युद्ध जिसमें हमने विजय प्राप्त किया लेकिन गंवाये थे अपने 3,843 जवान. भारतीय सेना के जवानों की शहादत की स्मृति में अमर जवान ज्योति जलायी गयी. वह ज्योति जहां 1972 से आज तक जल रही थी, अब नहीं जलेगी.
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