सिनेमा | बड़ा आर्टिकल

काश! कुछ और बरस ज़िंदा रहते मनमोहन देसाई, बॉलीवुड को बहुत कुछ सीखना था...
मार्च में हिंदी सिनेमा के पापुलर सिग्नेचर फिल्म मेकर मनमोहन देसाई की पुण्यतिथि पड़ती है. एक ऐसा फिल्मकार जो बहुत जल्दी दुनिया छोड़ गया. फिल्मों को उन्हें अभी बहुत कुछ देना था. एक कसक सी बाक़ी रह गई कि काश कुछ बरस और जिंदा रह जाते.
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सतीश कौशिक की मौत सामान्य नहीं, पुलिस जांच इस ओर इशारा कर रही है!
सतीश कौशिक की मौत संदिग्ध परिस्थिति में हुई है. दिल्ली पुलिस को उनकी पोस्टमॉर्टम रिपोर्ट मिल गई है. इसके बाद पुलिस ने अपनी जांच तेज कर दी है. सतीश होली वाले दिन दिल्ली स्थित जिस फॉर्म हाऊस में रुके हुए थे, वहां से पुलिस को कुछ दवाईयां बरामद हुई हैं. फॉर्म का मालिक फरार है. सीसीटीव फुटेज खंगालने के साथ ही गेस्ट लिस्ट की जांच भी जारी है.
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Shehzada फिल्म की असफलता कार्तिक आर्यन के करियर के लिए चेतावनी की तरह है
कार्तिक आर्यन की फिल्म 'शहजादा' का बॉक्स ऑफिस कलेक्शन महज 20 करोड़ रुपए रहा है. कार्तिक के लिए ये इस साल की पहली फिल्म है, जिससे उनको बहुत उम्मीदें थीं, लेकिन पानी फिर चुका है. अपने करियर के स्वर्णिम दौर से गुजर रहे अभिनेता के लिए इस फिल्म का फ्लॉप होना किसी चेतावनी से कम नहीं होगा.
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पठान में शाहरुख़ तो बस हव्वा हैं, तारीफ के कसीदों के हक़दार सही मायनों में जॉन अब्राहम हैं!
हालिया रिलीज फिल्म पठान ने सिर्फ 5 दिनों में 500 करोड़ से ऊपर का कलेक्शन कर सफलता के मायने बदल दिए हैं. जैसी फिल्म है कह सकते हैं कि फिल्म के लिए शाहरुख़ खान तो बस हव्वा हैं.अगर सच में किसी की तारीफ होनी चाहिए तो वो जॉन अब्राहम हैं. जॉन ने जिस तरह एक एक्टर के रूप में अपना ट्रांसफॉर्मेशन किया है वो वाक़ई गजब है.
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Tu Jhoothi Main Makkar: बुरे टीजर के बाद न तो ट्रेलर का इंतजार है न फिल्म देखने का मन!
रणबीर और श्रद्धा की अपकमिंग फिल्म 'तू झूठी मैं मक्कार' का टीजर किसी चीज के बुरा होने की पराकाष्ठा है. टीजर क्वे बाद न तो इस फिल्म के ट्रेलर को लेकर कोई उत्सुकता है और न ही फिल्म देखने का मन. सवाल ये है कि आखिर कब बॉलीवुड एलीट क्लास की छिछोरी लव स्टोरीज से ऊपर उठेगा और कुछ ऐसा कंटेंट देगा जिसको देखकर मुंह से वाह निकले.
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उपहार सिनेमा त्रासदी के दंश को स्क्रीन पर प्रदर्शित करती है अभय की 'ट्रायल बाइ फायर'
Netflix पर रिलीज ट्रायल बाय फायर, अभय देओल और राजश्री देशपांडे अभिनीत, उपहार सिनेमा त्रासदी के बारे में एक किताब से प्रेरित एक यथार्थवादी सीरीज है. सीरीज आपको दिखाती है कि किसी हादसे में बच्चों की मौत के बाद माता पिता को इंसाफ के लिए किन चुनौतियों का सामना करना पड़ता है. कैसे तारीख पर तारीख मिलती है लेकिन इंसान के अंदर से न्याय का भरोसा जाता नहीं है.
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