सियासत | 5-मिनट में पढ़ें
कांग्रेस की भारत जोड़ो यात्रा से अब तक कितने 'तटस्थ' जुड़े...
भारतीय राजनीति में कई किरदार ऐसे हैं जो घोषित तौर पर किसी पार्टी का हिस्सा नहीं हैं. लेकिन उनका झुकाव किसी से छुपा भी नहीं है. सार्वजनिक रूप से खुद को तटस्थ बताने वाले पूर्व आरबीआई गवर्नर एन रघुराम राजन भी राहुल गांधी की यात्रा से जुड़े हैं. ऐसे में हमारे लिए उन तटस्थों का रुख कर लेना जरूरी है जिन्होंने कांग्रेस की भारत जोड़ो यात्रा में उपस्थिति दर्ज कराई है.
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केरल का अडानी पोर्ट: जो पोर्ट मनमोहन सिंह ने दिया, राहुल एंड टीम उसका विरोध क्यों करती है?
केरल का अडानी पोर्ट देश के लिए एक केस स्टडी की तरह है. मनोमाहन सिंह के प्रोजेक्ट से ही राहुल को आपत्ति है. भले ही भारत अरब, तुर्क, अफगान और यूरोपीय उपनिवेश से ऊपरी तौर पर मुक्त हुआ, लेकिन उनका उपनिवेश अब भी सिंडिकेट के जरिए अपने कारोबारी हितों को साधने में सक्षम बना हुआ है.
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'भारत जोड़ो यात्रा' असल में कांग्रेस के सारे असफल प्रयासों की नयी पैकेजिंग है!
भारत जोड़ो यात्रा (Bharat Jodo Yatra) बेशक बेहतरीन प्रयास है, खासकर ऐसे माहौल में जब कांग्रेस (Congress) अपना अस्तित्व बनाये रखने के लिए जीतोड़ संघर्ष कर रही है - लेकिन जिस तरीके से राहुल गांधी (Rahul Gandhi) को रीलांच करने के लिए पुरानी चीजों की पैकेजिंग की गयी है, सफलता थोड़ी संदिग्ध लगती है.
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राहुल गांधी नहीं - अब कांग्रेस नये अवतार में नजर आने वाली है
अब तक कई बार राहुल गांधी (Rahul Gandhi) के नये नये अवतार देखने को मिले हैं, लेकिन अब कांग्रेस को नये कलेवर लाने की कवायद चल पड़ी है - दिग्विजय सिंह (Digvijay singh) ने तो काम संभाल लिया है, ऐसा लगता है अशोक गहलोत (Ashok Gehlot) भी नेतृत्व जल्दी ही संभाल सकते हैं.
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केजरीवाल की पंजाब में जीत राहुल और ममता के लिये बहुत बड़ी चुनौती होगी!
अरविंद केजरीवाल (Arvind Kejriwal) अब तक विपक्षी खेमे के लिए अछूत बने रहे हैं, लेकिन पंजाब की जीत सारे समीकरण बदल सकती है - एक झटके में वो राहुल गांधी (Rahul Gandhi) और ममता बनर्जी (Mamata Banerjee) के लिए मुसीबत खड़ी कर सकते हैं.
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Rakesh Tikait का नाम लेकर किसान नेता अपनी राजनीतिक मंशा जाहिर कर रहे हैं
किसान नेता शुरू से ही कृषि कानून विरोधी आंदोलन (Farmers Protest) के गैर-राजनीतिक होने का दावा करते रहे हैं - लेकिन दर्शन पाल सिंह (Darshan Pal singh) ने जो सलाहियत पेश की है वो राकेश टिकैत (Rakesh Tikait) सहित सभी किसान नेताओं की राजनीतिक महत्वाकांक्षाओं की तरफ इशारा है.
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किसान आंदोलन को अन्ना हजारे के रामलीला आंदोलन से कितना अलग समझा जाएगा?
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी (Narendra Modi) के कृषि कानूनों (Farm Laws) के वापस लेने की घोषणा के बाद तीन हफ्ते बाद किसानों का धरना (Farmers Protest) खत्म हो रहा है और जनवरी, 2022 में समीक्षा होनी है - मतलब, चुनावों से पहले किसान फिर से अंगड़ाई ले सकते हैं.
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