सियासत | 7-मिनट में पढ़ें
पाकिस्तान में शाहबाज द्वारा इमरान की गिरफ़्तारी चूहे बिल्ली का खेल है, चलता रहेगा!
पाकिस्तान के पूर्व पीएम इमरान खान के समर्थक उन्हें गिरफ्तार करने के प्रयासों का विरोध करने के लिए उनके लाहौर स्थित घर पर जमा हुए. इमरान के घर के बहार जैसा नजारा था, हालात बिल्कुल युद्ध जैसे थे. लगा पाकिस्तानी पुलिस के सामने इमरान समर्थक नहीं बल्कि दुश्मन हैं.
सोशल मीडिया | 5-मिनट में पढ़ें
मोहम्मद जुबैर के 'समर्थक' इन तर्कों को कैसे काटेंगे?
ऑल्ट न्यूज के को-फाउंडर मोहम्मद जुबैर (Mohammed Zubair) की गिरफ्तारी को उनके समर्थक लोकतंत्र के खिलाफ बता रहे हैं. लेकिन, सोशल मीडिया (Social Media) पर जुबैर की गिरफ्तारी के पक्ष में दिए जा रहे तर्कों को भी नजरअंदाज नहीं किया जा सकता है. क्योंकि, ताली कभी एक हाथ से नहीं बजती है.
ह्यूमर | 4-मिनट में पढ़ें
Viral poem छोड़िए कल शाहरुख के फैंस उन्हें फरिश्ता बता दें तो भी लोग कहेंगे वाह दद्दा, सहमत!
आर्यन खान ड्रग्स केस के बाद वायरल हो रही अखिल कत्याल की कविता पर हैरत कैसी? कल की डेट में शाहरुख के फैंस उन्हें फरिश्ता भी कह दें तो दूसरे समर्थक यही कहेंगे कि वाह दद्दा क्या कह दिया. सहमत. यदि आज्ञा हों तो इसे फेसबुक पर शेयर कर लूं ?
सियासत | 5-मिनट में पढ़ें
Mamata का हिंदी दिवस वाला ट्वीट लोकसभा चुनाव 2024 के लिए है, भवानीपुर उपचुनाव के लिए नहीं!
ममता के हिंदी दिवस ट्वीट को लोग भवानीपुर उप चुनाव से जोड़कर देख रहे हैं और कहा यही जा रहा है कि कहीं ममता का ये हिंदी प्रेम उन्हें भवानीपुर उपचुनाव में भारी न पड़ जाए. ऐसे में लोगों को ये बताना बहुत जरूरी है कि ममता बनर्जी का हिंदी दिवस वाला ट्वीट लोकसभा चुनाव 2024 के लिए है, भवानीपुर उपचुनाव के लिए नहीं.
सियासत | 5-मिनट में पढ़ें
अरैल घाट की बेकाबू भीड़ प्रियंका गांधी को देखने आई थी या 'इंदिरा' को?
बात बीते दिन की है प्रियंका गांधी अरैल घाट थीं और जिस तरह का नजारा था साथ ही जैसी भीड़ मौके पर थी प्रियंका में इंदिरा गाँधी वाला ऑरा दिख रहा था. बाकी प्रियंका गांधी की लोकप्रियता का एक बड़ा कारण उनका 'इंदिरा गांधी' के घर की लड़की होना है. कांग्रेस यदि इसे भुना लेती है तो आगामी उत्तर प्रदेश विधानसभा चुनावों में इसका उसे बड़ा फायदा मिलेगा.
सिनेमा | 6-मिनट में पढ़ें
कंगना रनौत: अब बात आत्म-मुग्धता से बहुत आगे पहुंच गयी है!
कंगना रनौत एक बेहतरीन अदाकारा हैं इसमें कोई शक़ नहीं. उनका आत्मविश्वास ग़ज़ब का है लेकिन आत्मविश्वास और आत्ममुग्धता में धागे भर का फ़र्क़ होता है, दीदी ने जब बखिया उधेड़नी शुरू की तो वह धागा भी ग़ायब हो गया और उन्हें ख़ुद होश नहीं है कि वे धागे के किस पार हैं.
समाज | 3-मिनट में पढ़ें
किसान आंदोलन पर तमाम आशंकाओं के बीच दो तरह के लोग हैं...
तमाम बातें हैं, जो किसान आंदोलन पर राय रखने वाले उन सभी आम नागरिकों से करनी है जो कहीं न कहीं इन सब के बीच में हैं. जो एक पक्षीय नहीं हैं और सही को सही गलत को गलत कहने के लिए पार्टी का मुंह नहीं देखते. दिलचस्प ये है कि जब सब कुछ इतना गड़बड़ हो जाता है तो इस पक्ष को भी समझ नहीं आता कि क्या सही है और क्या गलत.
सियासत | 4-मिनट में पढ़ें
सोशल मीडिया | 5-मिनट में पढ़ें





