समाज | एक अलग नज़रिया | 4-मिनट में पढ़ें
सिंगल लोगों के लिए जले पर नमक के समान है वैलेंटाइन डे वीक
ऐसा लगता है फरवरी के महीने में जून की तपिश है. हमारा मन करता है कि हम गो कोरोना गो के तर्ज पर गो वैलेंटाइन डे गाना गाएं. क्योंकि हमारे लिए फरवरी का महीना बिल्कुल रोमांटिक नहीं है. ऊपर से ये तुम जो हाथ से हार्ट की फोटू बनाकर सोशल मीडिया पर चिपकाते हो ना दिल करता है उस पर बायकॉट लिखकर आ जाऊं.
समाज | एक अलग नज़रिया | 5-मिनट में पढ़ें
क्या घरेलू कामों के बोझ के डर से लड़कियां शादी नहीं कर रही हैं?
बेटे की शादी के बाद घर की सारी जिम्मेदारी बहू के ऊपर डाल दी जाती है. घर का काम करने और रसोई में खाना बनाने में बुराई नहीं है, लेकिन यह तब उबाऊ हो जाता है सब सबकुछ उस महिला को ही संभालना पड़ता है. महिलाएं पूरी कोशिश करती हैं कि वे घर और ऑफिस दोनों को मैनेज कर सकें. वे मेहनत करने से नहीं, खुद को खोने से डरती हैं.
समाज | एक अलग नज़रिया | 4-मिनट में पढ़ें
सिनेमा | एक अलग नज़रिया | 3-मिनट में पढ़ें
समाज | बड़ा आर्टिकल
भारत में एक अविवाहित महिला के अबॉर्शन के मायने
एक अविवाहित महिला जिसने 20 साल की उम्र में गर्भपात करवाया, वो इस बात से पर्दा उठा रही है कि भारत में शादी से पहले अबॉर्शन के क्या मायने हैं. इस महिला की बात से आप भारत की तमाम महिलाओं की परेशानी समझ सकते हैं जिन्हें गर्भपात के बारे में कोई जानकारी ही नहीं होती.
समाज | 4-मिनट में पढ़ें



