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Updated: 19 नवम्बर, 2021 07:20 PM
ज्योति गुप्ता
ज्योति गुप्ता
  @jyoti.gupta.01
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चेहरे पर मुस्कान लिए उस मासूम लड़की को देखकर कोई भी यह अंदाजा नहीं लगा सकता है कि वह किन मुसीबतों को झेल रही है. दिखने में गोरी, बड़ी-बड़ी भूरी आखें और होठों पर लाल लिपस्टिक के साथ एक प्यारी सी मुस्कान. हम जिसकी बाद कर रहे हैं उसका नाम मुस्कान है. वह एक पॉश एरिया के प्रोफेशनल पार्लर में काम करती है. आपको शायद लगेगा कि इसमें बड़ी बात क्या है, सब काम करते हैं लेकिन मुस्कान की कहानी अलग है. उसे काम करने की आजादी नहीं है.

वैसे तो वह किसी से ज्यादा बात नहीं, बस अपने काम से मतलब रखती है लेकिन उस दिन वह कमजोर पड़ गई और अपने मन के सारे गुबार निकाल दिए. उसकी पहचान छिपाने के लिए हमने उसका नाम बदल दिया है. मुस्कान की कहानी से हमें सीख मिलती है कि जिंदगी चाहें जैसी भी हो हमें हार नहीं माननी चाहिए.

beauty parlour, girl, women, work, dirty work, dirty girlलोग मेरे काम को गंदा समझते हैं और मुझे भी

मुस्कान की कहानी उन लोगों के मुंह पर जोरदार तमाचा है जो यह कहते हैं कि लड़कियां सिर्फ अपना रोना रोती हैं. जबकि हकीकत यह है कि आज भी महिलाओं की जिंदगी आसान नहीं है. महिलाओं के लिए घर से निकलना और काम करना आज भी मुश्किल है.

उस रोज काम करते-करते मुस्कान अचानक बोल पड़ी, ‘दीदी मैं जिससे भी ज्यादा प्यार करती हूं वह मुझसे दूर हो जाता है.’ पहले मम्मी-पापा के साथ हम दोनों बहनें रहते थे. पापा ने शराब पीकर मम्मी को मारना-पीटना शुरु कर दिया. इसके बाद मम्मी ने इनको तलाक दे दिया. इसके बाद मम्मी ने दूसरी शादी कर ली. वे अंकल भी शराब पीते हैं और हम पर गंदी नजर रखते हैं.’

हमारी पढ़ाई भी नहीं हो पाई. पापा ताऊ जी के साथ ही रहने लगे. वो अंकल मां को भी मारते हैं लेकिन वो उनका साथ छोड़ने को तैयार नहीं. बड़ी मुश्किल से मैंने पार्लर में काम सीखना शुरु किया. मेरे पार्लर में काम करने पर मेरे ही घरवालों ने मुझे गंदी गालियां दी और मारा-पीटा. मैंने हिम्मत नहीं हारी और चुपचाप अपना काम सीखती रही, ताने सुनती रही. अब जब मैं पार्लर में नौकरी करती हूं तो सब कहते हैं कि यह गंदा काम है.

मुझे यहां नौकरी नहीं करनी चाहिए लेकिन इसके अलावा मुझे और कुछ नहीं आता. मैंने तो स्कूल के बाद पढ़ाई भी नहीं की है. सब मेरे परिवार के लोग ही हैं. हमारे आगे-पीछे कोई नहीं है कि मैं किसी से लड़ सकूं. एक बार जब अंकल ने मां को मारा था तो वह हमारे पास रहने आ गईं थीं. हम दोनों बहनें मां के आ जाने से खुश थे लेकिन थोड़े दिन बाद ही वो रोने लगीं और अंकल को भी बुला लिया. वो अंकल अच्छे नहीं हैं.

अब, मैं और मेरी बहन अलग से कमरा खोज रहे हैं जहां हम रह सकें, लेकिन इस एरिए में सस्ता रूम नहीं है, उपर से लोग सिंगल लड़कियों को घर नहीं देना चाहते. वे पूछते हैं कि क्या काम करती हो, पार्लर बताने पर कई जगह लोगों ने घर देने से मना कर दिया. मुझे सिर्फ 7 हजार ही सैलरी मिलती है. मेरी बहन भी इसी क्षेत्र में काम करती है. हम दोनों ही एक-दूसरे का सहारा हैं.’

इसके बाद मुस्कान ने कहा कि ‘जिन लड़कियों के परिवार वाले होते हैं. उनका ख्याल रखते हैं वो कितनी भाग्यशाली होती हैं ना? मैं मेरे पापा को बहुत प्यार करती थी लेकिन वे कभी हमारे बारे में पूछते भी नहीं है. मां को भी हमसे कोई मतलब नहीं है. रिश्तेदार हमें ताना मारते हैं और पार्लर में काम करने पर गालियां देते हैं.

मैं जिसे जीवन साथी बनाने का सपना देख रही थी उसकी किसी और से शादी हो रही है. अब समझ नहीं आता कि जिंदगी किस मोड़ पर लेकर जाएगी. लोग मेरे काम को गंदा समझते हैं और मुझे भी. सोचा है बस हार नहीं मानूंगी और एक दिन अपना खुद का पार्लर खोलूंगी.’

मुस्कान की बातें सुनकर लगा...और एक हम हैं जो इतने में ही परेशान हैं. दूसरों के काम को गंदा कहने का अधिकार किसने दिया है? कौन सी ऐसी जगह है जहां अच्छे-बुरे लोग नहीं रहते. आखिर हमारा समाज महिलाओं को उनके काम के आधार पर जज करना कब बंद करेगा? यह तो सिर्फ एक मुस्कान की कहानी है...ना जाने ऐसी कितनी मुस्कान हैं जो इस दकियानुसी सोच वाले लोगों के बीच में जिंदगी जीने की कोशिश में लगी हैं.

लेखक

ज्योति गुप्ता ज्योति गुप्ता @jyoti.gupta.01

लेखक इंडिया टुडे डि़जिटल में पत्रकार हैं. जिन्हें महिला और सामाजिक मुद्दों पर लिखने का शौक है.

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