सिनेमा | एक अलग नज़रिया | 4-मिनट में पढ़ें
Kangana Ranaut के विरोध में उनकी नग्न तस्वीरें लगाना 'मर्दाना कमजोरी' है
उनमें और कंगना रनौत ने 1947 में मिली आजादी पर जो टिप्पणी की, उसे आपत्तिजनक मानने वालों ने तो विरोध के लिए घटियापन की हद पार कर दी. यह बेहद दुर्भाग्यपूर्ण है कि जब लोग स्त्री का विरोध करते हैं तो उसकी बातों का विरोध नहीं करते बल्कि उसकी सेक्सुअलिटी पर व्यंग्यपूर्ण दोष देने लगते हैं.
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