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Updated: 22 सितम्बर, 2021 06:58 PM
देवेश त्रिपाठी
देवेश त्रिपाठी
  @devesh.r.tripathi
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बदलती दुनिया के साथ साइबर ठगी के तरीकों में भी तेजी से बदलाव आया है. फोन के जरिये अकाउंट से लाखों की रकम उड़ाने वाले अपराधी अब लोगों को सेक्सुअल ब्लैकमेलिंग का शिकार बना रहे हैं. पोर्न वेबसाइट्स पर सर्फिंग हिस्ट्री, सोशल मीडिया पर शेयर की गई तस्वीरों को मॉर्फ्ड कर अश्लील बनाने, फोन पर अश्लील बातचीत और ऑनलाइन वीडियो जैसे हथकंडों के सहारे देश में ब्लैकमेलिंग के मामले काफी बढ़ गए हैं. युवा से लेकर बुजर्ग भी इस तरह के हनी ट्रैप के आसान शिकार हो रहे हैं. वहीं, व्हाट्सएप, फेसबुक मैसेंजर जैसे एप पर हर उम्र के लोगों के बीच नग्न तस्वीरें साझा करना आम आदत बन गई है. रिश्तों के खराब होने पर ये तस्वीरें 'बदले' के रूप में सामने आनी लगती हैं. इन तस्वीरों के दम पर ही ब्लैकमेल जैसी आपराधिक घटनाओं को अंजाम दिया जाता है. हाल ही में महंत नरेंद्र गिरि के आत्महत्या करने की वजह उनके सुसाइड नोट के अनुसार, काफी हद तक अश्लील तस्वीरों या वीडियो से ही जुड़ी है. हालांकि, अभी इस मामले में पुख्ता तौर पर कुछ नहीं कहा जा सकता है. क्योंकि, सुसाइड नोट को लेकर भी पुलिस फॉरेंसिक जांच करा रही है.

लेकिन, महंत नरेंद्र गिरि के सुसाइड नोट से एक बात तो साफ हो ही जाती है कि नग्न तस्वीरों या वीडियो के डर से कोई भी शख्स आसानी से आत्महत्या का रास्ता चुन सकता है. दरअसल, आजकल फोन पर आसानी से उपलब्ध होने वाली सैकड़ों एप के जरिये लोग अपनी फोटो को मॉर्फ्ड कर बैकग्राउंड से लेकर शक्ल तक बदल सकते हैं. तस्वीरों या वीडियों को मॉर्फ्ड कर आसानी से उन्हें आपके खिलाफ इस्तेमाल किया जा सकता है. महंत नरेंद्र गिरि के मामले में भी ऐसा ही सामने आया है. महंत ने अपने सुसाइड नोट में लिखा था कि आनंद गिरि कंप्यूटर के जरिये एक लड़की के साथ मेरी फोटो जोड़कर (मॉर्फ्ड फोटो) गलत काम करते हुए बदनाम करेगा.

दरअसल, एक्सटॉर्शन यानी जबरन वसूली की तरह ही भारत में अब सेक्सटॉर्शन भी ब्लैकमेलिंग का एक नया तरीका बनकर उभरा है. पश्चिमी देशों में इस तरह के मामले काफी पहले से आ रहे हैं. लेकिन, भारत में बीते साल कोरोना महामारी फैलने के बाद ऐसे मामलों में काफी तेजी दर्ज की गई है. हमारे देश में ऐसे बहुत से मामले सामने आ चुके हैं, जिनमें लोगों ने बदले की भावना से वायरल की गई नग्न तस्वीरों या वीडियो के कारण आत्महत्या को एक आसान विकल्प के तौर पर चुना है. लेकिन, ऐसे मामलों में आत्महत्या ही आखिरी विकल्प नहीं है. अगर कोई ऐसी ब्लैकमेलिंग का शिकार होता है, तो वह खुद को अकेला न समझकर अपने करीबी लोगों की मदद ले सकता है. क्योंकि, नग्न तस्वीरों को लेकर कोई ब्लैकमेल करे, तो आत्महत्या से सरल उपाय मौजूद हैं. आइए जानते हैं वो उपाय क्या हैं?

ऐसे मामलों में अपराधी पीड़ित को फेक अकाउंट्स बनाकर ब्लैकमेलिंग को अंजाम देते हैं.ऐसे मामलों में अपराधी पीड़ित को फेक अकाउंट्स बनाकर ब्लैकमेलिंग को अंजाम देते हैं.

1. मैसेज डिलीट मत करें

आमतौर पर ब्लैकमेलिंग के ऐसे मामलों में अपराधी व्हाट्सएप, मैसेंजर, टेक्सट मैसेज जैसे तरीकों से पीड़ित/पीड़िता से पैसों की मांग करते हैं. पीड़ित शख्स या महिला समाज और परिवार वालों के डर की वजह से इन मैसेज को डिलीट कर देते हैं. लेकिन, इन मैसेज को डिलीट करना आपके लिए और ज्यादा दिक्कत पैदा कर सकता है. दरअसल, ये तमाम मैसेज ब्लैकमेल करने वाले अपराधी के खिलाफ एक अहम सबूत होते हैं, जो भविष्य में आपके काम आएंगे. अगर किसी पीड़ित के पास ऐसे मैसेज आते हैं, तो उन्हें गलती से भी डिलीट न करें. ये वो साक्ष्य होते हैं, जो साबित करेंगे कि पीड़ित/पीड़िता को ब्लैकमेल करने वाले अपराधी ने किस कदर उसे मानसिक प्रताड़ना का शिकार बनाया है. इन मैसेज को डिलीट करते वक्त ये सोचा जाना चाहिए कि पीड़ित सबूतों को नष्ट कर रहा है.

2. स्क्रीनशॉट लेकर सबूतों को मजबूत करें

ऐसे मामलों में अपराधी पीड़ित को फेक अकाउंट्स बनाकर ब्लैकमेलिंग को अंजाम देते हैं. कई बार ऐसे अकाउंट्स के बंद होने के साथ ही आरोपी के साथ की गई पूरी बातचीत गायब हो जाती है. वहीं, कुछ मामलों में आरोपी फेक अकाउंट को बंद करने से पहले या लगातार बातचीत डिलीट करते रहते हैं. इस स्थिति में पीड़ित/पीड़िता को इन अकाउंट्स से की जा रही बातचीत को पक्के सबूत के तौर पर पेश करने के लिए मैसेज मिलने के साथ ही स्क्रीनशॉट ले लेना चाहिए. ये स्क्रीनशॉट मामले की शिकायत दर्ज कराते समय काफी अहम होते हैं. इससे शिकायत के समय मामले की जांच में काफी सहयोग मिलता है. साथ ही ये आरोपी के खिलाफ मजबूत सबूत भी होते हैं. स्क्रीनशॉट लेते समय ये भी कोशिश की जानी चाहिए कि मैसेज भेजने का समय भी उसमें साफ दिखाई दे. ये पीड़ित के लिए एक प्लस प्वाइंट की तरह काम करता है.

3. एक्सपर्ट की मदद लें

ब्लैकमेलिंग के लिए नग्न तस्वीरों या वीडियो के सामने आते ही पीड़ित/पीड़िता को बिना डरे पुलिस की साइबर अपराध शाखा या महिला हेल्पलाइन में मामले की शिकायत दर्ज करानी चाहिए. अक्सर लोग इन तस्वीरों के वायरल होने के डर और उचित सहायता न मिल पाने की कमी के चलते शिकायत दर्ज कराने से पीछे हट जाते हैं. पीड़ित/पीड़िता को समझना चाहिए कि डर की वजह से अगर वो शांत रहता/रहती है, तो वह ब्लैकमेलिंग के इस कुचक्र में बुरी तरह से फंस सकता है. इन मामलों में पीड़ित को डरना नहीं चाहिए और पुलिस की साइबर अपराध शाखा या महिला हेल्पलाइन के विशेषज्ञों से बात करनी चाहिए. वहां बैठे लोग इन मामलों को हैंडल करने में एक्सपर्ट होते हैं, तो पीड़ित उनका भरोसा कर सकते हैं. ऐसे मामलों में ये विशेषज्ञ पीड़ित की गोपनीयता का पूरा ख्याल रखते हैं. इसके साथ ही केस को पेशेवर तरीके से निपटाते हैं. पीड़ित बिना किसी की नजर में आए इस मामले की ऑनलाइन एफआईआर दर्ज करा सकता/सकती है. वहीं, ऐसे मामलों के लिए तमाम संस्थाएं भी काम कर रही हैं, तो इनसे भी संपर्क कर आगे का रास्ता तय किया जा सकता है.

4. ब्लैकमेलर की मांग के आगे मत झुकें

इन मामलों में ब्लैकमेल करने वाले आरोपी की किसी भी मांग के आगे झुककर पीड़ित/पीड़िता उसे और मजबूत बनाते हैं. आरोपी पीड़ित/पीड़िता की तस्वीरों के सहारे उसका यौन शोषण या ब्लैकमेल करना बंद कर देगा, इसकी संभावना बहुत कम ही होती है. तो, पीड़ित/पीड़िता को इस मामले में ये बात गांठ बांधकर रख लेनी चाहिए कि वो किसी भी हाल में ब्लैकमेलर के दबाव में आकर उसकी मांगों को पूरा नहीं करे. अगर पीड़ित/पीड़िता उसकी मांगों के लिए राजी नहीं होते हैं, तो वह दबाव बनाने के लिए तमाम हथकंडे अपनाएगा. लेकिन, अगर पीड़ित/पीड़िता इस दबाव को किनारे रखते हुए पुलिस के पास जाते हैं, तो ब्लैकमेलर पर ही दबाव बनेगा. ऐसे मामलों में कोशिश करें कि शिकायत के बाद ब्लैकमेलर को जितना ज्यादा उलाझा सकते हैं, उलझाएं. ताकि पुलिस को आरोपी तक पहुंचने का समय मिल सके.

5. दोस्त, परिजन या किसी भी करीबी से बात करें

इस तरह की ब्लैकमेलिंग का शिकार होने वाले पीड़ित/पीड़िता पर भीषण मानसिक दबाव होता है. लोग क्या कहेंगे, दोस्त क्या सोचेंगे, रिश्तेदार और परिवार की नाक कट जाएगी जैसे कई सवाल लोगों के दिमाग में अपनेआप ही आने लगते हैं. ऐसी स्थिति में पीड़ित/पीड़िता अपने किसी दोस्त, परिजन या किसी भी करीबी से बात करें. पीड़ित/पीड़िता को ऐसा कर राहत महसूस होगी. किसी करीबी से बात करने पर इस मामले में आगे क्या करना चाहिए जैसे सवालों के जवाब मिलेंगे. अगर पीड़ित/पीड़िता इसे अपने तक ही रखते हैं, तो उन पर मानसिक दबाव बढ़ेगा. अगर ब्लैकमेलर ने अभी तक तस्वीरें या वीडियो वायरल नहीं किए हैं, तो तत्काल पुलिस के पास शिकायत दर्ज कराएं. अगर वह ऐसा कर चुका है, तो भी शिकायत दर्ज कराएं. क्योंकि, आत्महत्या कोई उपाय नहीं है. ऐसे मामलों में परिजनों, दोस्तों और रिश्तेदारों को भी पीड़ित/पीड़िता के दुख को समझना चाहिए. किसी की गलत भावानाओं का शिकार होने में पीड़ित/पीड़िता का कोई दोष नहीं होता है.

लेखक

देवेश त्रिपाठी देवेश त्रिपाठी @devesh.r.tripathi

लेखक इंडिया टुडे डिजिटल में पत्रकार हैं. राजनीतिक और समसामयिक मुद्दों पर लिखने का शौक है.

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