सिनेमा | 4-मिनट में पढ़ें

Lafzon Mein Pyaar Review: उम्मीदों को दिल में सजाने का नाम 'लफ्जों में प्यार'
एक फिल्म और तीन-तीन कहानियां. जी हां लेकिन आप इसे देखने बैठते हैं तो आपको अंत तक जाते-जाते उम्मीदों को दिल में सजाने की बातें करने वाली इस फिल्म की कहानी समझ आने लगती है. समझ आता है कि लड़के के बाप ने उसे क्यों नाकारा कहा? समझ आता है कि उसे अपनी ही स्टूडेंट से प्यार क्यों हुआ?
सियासत | बड़ा आर्टिकल

लव मैरिज पर गुजरात के मुख्यमंत्री का कथन एक नई बहस को जन्म देता तो है!
एक सामाजिक समस्या का समाधान करने के लिए गुजरात सरकार ने इसके बारे में सोचा है. परंतु इस बात को जरूर ध्यान देना है कि अनैतिक और गैरकानूनी दोनों में बहुत फर्क है. लिव-इन रिलेशनशिप अनैतिक हो सकती है, पर वो गैरकानूनी नहीं है. अगर आप शादी करना चाहते हैं जो आपके माता-पिता की इच्छा के विरुद्ध है, वो सामाजिक तौर पर गलत हो सकता है. अनैतिक हो सकता है, पर गैरकानूनी नहीं है.
ह्यूमर | 4-मिनट में पढ़ें

फेसबुक और PubG से न घर बसा और न ज़िंदगी गुलज़ार हुई, दोष हमारा है
इतिहास से लेकर मुग़ल ए आज़म पिक्चर तक 'पास्ट' हमें यही बताता है कि मुद्दा जब मुहब्बत हो, तो चर्चा में आता ज़रूर है. क्या पता कल की तारीख में इश्क़ के नाम पर हमारा सिरफिरापन ट्विटर या इंस्टाग्राम पर ट्रेंड ही कर जाए और सोशल मीडिया वाली इस क्रांति के दौर में हम भी पाव भर या आधा किलो फेमस हो जाएं.
समाज | 5-मिनट में पढ़ें

Seema-Sachin Love Story: सीमा की प्रेमकथा में उलझी जांच एजेंसियां
अगर सीमा हैदर पाकिस्तान की जासूस निकली तो इसके पीछे भारतीय खूफिया तंत्र की घोर लापरवाही मानी जाएगी. खूफिया एजेंसियों को छोड़ो, स्थानीय पुलिस और राज्य सरकार को भी भनक नहीं हुई. जैसे हाल हैं यूपी पुलिस, सुरक्षा एजेंसियों, लोकल इंटेलिजेंस और पुलिसिंग बीट के लिए सीमा की कहानी किसी भंयकर सिर दर्द से कम नहीं है.
सियासत | 4-मिनट में पढ़ें

Seema Sachin Love Story: जमाने भर की बातों का बदला हिंदू मंदिरों से क्यों?
1947 में भारत विभाजन के समय पाकिस्तान में 428 प्रमुख मंदिर थे, इनमें से 408 मंदिरों को ध्वस्त कर दिया गया है. सीमा हैदर की करतूत से उसके परिजनों और पाकिस्तान के लोगों में गुस्सा है लेकिन दुख का विषय है कि इसका बदला पाकिस्तान में हिंदू मंदिरों को नुकसान पहुंचा कर लिया जा रहा है.
सियासत | 4-मिनट में पढ़ें
समाज | बड़ा आर्टिकल

प्रिये प्रियतमा, आज एकबार फिर तुम्हारी नगरी में हूं...
किसी बस स्टॉप पर बस के रूकने पर जब वो परचून वाला चढ़ता तो हमदोनों के ही जीभ लपलपा उठते थे और हमदोनों जी भरकर फिर अपना बचपन जीते. अबकी भी अभी उसी बस में बैठा हूं, पर अकेला. तुम नहीं हो साथ मेरे. पिछली सीट पर ही हूं और बस की उछल-कूद जारी है. पर इसबार बचपन नहीं, तुम्हारे साथ बिताए वो सारे पल जी रहा हूं.
समाज | 5-मिनट में पढ़ें

12 बच्चे पैदा करने की बात कहने वाले आशिक का 11 पन्नों का सुसाइड नोट है बड़ा इंटरेस्टिंग...
हरियाणा के हिसार में प्यार में नाकाम आशिक ने आत्महत्या की है और उससे पहले एक दो नहीं पूरे 11 पन्नों का 'खत' लिखा है. सुसाइड नोट का जैसा कंटेंट है वो आंख नम करने वाला है या चेहरे पर मुस्कान बिखेरने वाला फैसला जनता खुद कर ले.
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