सियासत | बड़ा आर्टिकल
Karnataka Election: कर्नाटक का चुनाव हिमाचल की तरह मुश्किल है!
भाजपा के शीर्ष नेतृत्व ने वंशवादी राजनीति का ठप्पा लगने से बचने के लिए येदियुरप्पा को हटा तो दिया, लेकिन अब उसे लिंगायत समुदाय के वोट बैंक की चिंता सता रही है. प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने येदियुरप्पा के साथ गलबहियां करके पार्टी को इसी चिंता से उबारने की कोशिश की है.
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'लिबरलास्टिक' रवैये को दिक्कत केसरिया बाने से- वह चाहे लिंगायत स्वामी हों या म्यांमार के विराथू!
कर्नाटक में लिंगायत के मुद्दे पर लिबरल्स का रुख दिलचस्प है. पांच साल पहले हिंदू धर्म के आतंरिक ढांचे पर हमले के लिए कांग्रेस ने लिंगायतों को अलग धर्म तक करार दे दिया था. लेकिन आज जब एक लिंगायत गुरु पर रेप के गंभीर आरोप लगे हैं- निशाने पर फिर से हिंदू धर्म है. केसरिया बाना है. लिबरल्स ने सिर्फ अपना एक विपक्ष तय किया है. वह कोई और नहीं भारतीय धर्म हैं.
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क्या कर्नाटक में 'बदलाव' का रिस्क भाजपा उठा पाएगी?
बीएस येदियुरप्पा आगामी 25 जुलाई को भाजपा के सभी विधायकों के साथ रात्रि भोज करने वाले हैं. माना जा रहा है कि भाजपा आलाकमान अपना कोई फैसला सुनाए, इससे पहले येदियुरप्पा शक्ति प्रदर्शन के सहारे अपने दावे को मजबूती के साथ पेश करने के लिए आखिरी हथियार के तौर पर इस डिनर डिप्लोमेसी का सहारा लेने वाले हैं.
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येदियुरप्पा सवा साल तक कर्नाटक के मुख्यमंत्री रह पाएंगे?
मुख्यमंत्री बीएस येदियुरप्पा (BS Yediyurappa) भी कर्नाटक में वैसी ही चुनौती से जूझ रहे हैं जैसी मध्य प्रदेश में कमलनाथ (Kamalnath govt) सरकार के सामने आ खड़ी हुई है - फर्क सिर्फ ये है कि येदियुरप्पा ऑपरेशन लोटस के साइड इफेक्ट (Side Effects of Operation Lotus) झेल रहे हैं - और थोड़ी मुश्किल उनमें जाग उठे पुत्र मोह के चलते भी है.
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