ह्यूमर | 5-मिनट में पढ़ें
JNU के नए नियमों ने गंगा ढाबे पर बैठे तमाम कॉमरेड्स की हवा टाइट कर दी है!
छात्र प्रदर्शनों का केंद्र रहे जवाहरलाल नेहरू विश्वविद्यालय (JNU) में यूनिवर्सिटी प्रशासन ने जमकर लगाम कसी है. नए नियमों के मुताबिक़ परिसर में धरना देने पर छात्रों पर 20,000 रुपये का जुर्माना और हिंसा करने पर 30,000 रुपये का जुर्माना लग सकता है. हिंसा के दोषी पाए गए स्टूडेंट्स का एडमिशन भी रद्द किया जा सकता है.
समाज | 3-मिनट में पढ़ें
देश की इतनी 'गौरवशाली' यूनिवर्सिटी JNU में ब्राह्मणों के खिलाफ इतना जहर!
वामपंथी विचारधारा का गढ़ कहे जाने वाले जेएनयू (JNU) में सिर्फ सवर्णों से ही घृणा (Anti Brahmin Slogans) नहीं, स्त्रियों को पुरुषों से नफरत करना, मूल निवासियों के नाम पर लोगों के बीच भेदभाव करना, हिंदू धर्म को हिकारत की नजर से देखना, अभिव्यक्ति की आजादी के नाम पर हिंदू देवी-देवताओं के अपमान के तरीके, संवैधानिक अधिकारों के नाम पर देश विरोधी बातों को तर्कसम्मत घोषित करना सिखाया जाता है.
सियासत | 7-मिनट में पढ़ें
Bhagat Singh की शहादत का भारत में वामपंथी शोषण
भगत सिंह वामपंथी थे या नहीं ये पूरी तरह से कहा नहीं जा सकता. लेकिन वामपंथियों को जब लगा कि भगत सिंह को अपना बना कर पेश करने में उनकी भलाई है. तो वो भगत सिंह की तस्वीरों और उनकी जीवनी को इस तरह से पेश करने लगे जैसे भगत सिंह से बड़ा देश में कोई भी क्रांतिकारी पैदा ही नहीं हुआ था.
सियासत | 5-मिनट में पढ़ें
Shashi Tharoor के 'वाम-झुकाव' के कारण केरल कांग्रेस में दो फाड़!
चाहे वो शशि थरूर हों या फिर थॉमस दोनों की का शुमार पार्टी के वरिष्ठ नेताओं में है. ऐसे में यदि उन्हें केरल प्रदेश कांग्रेस कमिटी के अध्यक्ष के कोप का सामना सिर्फ इसलिए करना पड़ रहा है क्योंकि वो दूसरी पार्टी के सेमिनार में बतौर स्पीकर जा रहे हैं जाहिर कर देता है कि कांग्रेस पार्टी कितनी और किस हद तक लोकतान्त्रिक है या लोकतंत्र में विश्वास रखती है.
सियासत | 6-मिनट में पढ़ें
बाबरी मस्जिद फिर से बनाने की मांग: आखिर JNU ऐसे विवादों में क्यों पड़ता है?
जेएनयू (JNU) में 6 दिसंबर की रात को बाबरी मस्जिद के समर्थन में नारेबाजी की गई. जेएनयूएसयू (JNUSU) की ओर से बाबरी विध्वंस की बरसी पर किए गए कार्यक्रम में बाबरी मस्जिद (Babri Mosque) के समर्थन में तकरीरों के साथ इसे फिर से बनाने की मांग की गई.
सियासत | 4-मिनट में पढ़ें
Kanhaiya Kumar को कांग्रेस में शामिल होते ही मिल गई ब्राह्मणवाद और मनुवाद से आजादी!
कांग्रेस (Congress) का दामन थामने के समय कामरेड कन्हैया कुमार (Kanhaiya Kumar) ने आधिकारिक रूप से देश के सबसे पुराने दल को बचाने का निर्णय लिया था. कन्हैया का ये फैसला ठीक उसी तरह था, जब जेएनयू में आतंकी अफजल गुरू की बरसी पर उन्होंने साम्राज्यवाद, सामंतवाद, संघवाद, ब्राह्मणवाद (Brahminism), मनुवाद, पूंजीवाद से आजादी के नारे लगाये थे.
समाज | 5-मिनट में पढ़ें
जब तक ज़िंदा है, जीने की ख्वाहिश और ज़िंदा हैं सपने... तब तक पाश ज़िंदा रहेंगे!
जब तक निक्कियों के ब्याह में गिरवी रखी जाती रहेगी ज़मीन. और नागरिकता बचाए रखने के लिए बेचा जाता रहेगा ज़मीर. जब तक देश आत्मा की बेगार का कोई कारख़ाना है. उल्लू बनने की प्रयोगशाला है. जब तक प्रेमियों के चुंबन प्रेमिका का चेहरा खूबसूरत बनाते रहेंगे. और आलिंगन उनके शरीर को सांचे में ढालते रहेंगे. जब तक ज़िंदा है जीने की ख्वाहिश और ज़िंदा हैं सपने. तब तक पाश ज़िंदा रहेंगे.
सियासत | 6-मिनट में पढ़ें
Kerala Assembly Election 2021: यदि केरल भी हार गए राहुल गांधी तो कहां जाएंगे?
इस वक्त देश में पांच राज्यों में विधानसभा चुनाव हो रहे हैं, लेकिन राहुल गांधी के लिए केरल चुनाव (Kerala Opinion Poll) सबसे अहम है. केरल में कांग्रेस की जीत के जरिए राहुल कई सवालों के जवाब एक साथ देना चाहते हैं, लेकिन ओपिनियन पोल के आंकड़े उनके लिए शुभ संकेत नहीं दे रहे हैं.
समाज | 4-मिनट में पढ़ें






