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'आजादी के दीवानों' ने डाली कानपुर में सात दिनों तक चलने वाली होली की अनोखी परंपरा
कानपुर में गंगा मेला तक होली खेलने की परंपरा 1942 में अंग्रेजों के विरोध में पड़ी थी. किसी समय 'पूरब का मेनचेस्टर' कहे जाने वाले कानपुर का हटिया बाजार का इलाका व्यापारियों के साथ ही आजादी के आंदोलन में हिस्सा लेने वाले क्रांतिकारियों का भी डेरा माना जाता था.
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'बुरा न मानो, होली है' लेकिन हकीकत में होली में बुरा मानने की अपार संभावनाएं हैं!
होली के दौरान कहा यही जाता है कि 'बुरा न मानो, होली है'. सामान्य परिस्थिति में यह बिलकुल ठीक लगता है कि होली खेलने में बुरा क्या मानना. लेकिन अगर हम गौर से होली खेलने के तरीकों को देखें तो लगेगा कि होली में खूब बुरा माना जा सकता है.
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