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शरद पवार की राजनीति को समझना मुश्किल ही नहीं, नामुमकिन है !
आज अंबानी अडानी को निशाना बनाने की कवायद कभी टाटा-बिड़ला को बनाए जाने जैसी ही है. अब इस परंपरा को तजने की जरूरत है क्योंकि आज जनमानस कहीं ज्यादा परिपक्व है जिस वजह से किसी को भी निशाना बनाने के लिए 'थोथे कहे' बेअसर हो रहे हैं, उल्टे पड़ रहे हैं.
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19 में अंबानी खेल चुके राहुल गांधी 2024 के चुनावों में अदानी को लाकर पुराना दांव खेल रहे हैं!
2019 के आम चुनावों में जहां राहुल गांधी ने अनिल अंबानी को मुद्दा बनाया था. तो वहीं जब 2024 के चुनावों में 300 के आस पास दिन बचे हैं राहुल गांधी ने गौतम अदानी की नीयत को कटघरे में रखा है. आइये देखें कि राहुल गांधी के लिहाज से 2019 और 2024 के चुनावों में क्या - क्या समानता है.
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सियासत | बड़ा आर्टिकल

सुप्रीम कोर्ट के दोनों फैसले सरकार के खिलाफ हैं - विपक्ष को तो खुश होना चाहिये
सुप्रीम कोर्ट (Supreme Court) से दो बड़े फैसले आये हैं. प्रथम दृष्टया दोनों ही केंद्र की मौजूदा सरकार के खिलाफ लगते हैं. अदानी-हिंडनबर्ग केस (Adani-Hindenburg Case) को अलग रख कर देखें तो चुनाव आयोग (Election Commission) पर अदालती आदेश से कोई खास व्यावहारिक फर्क भी आएगा क्या?
सियासत | बड़ा आर्टिकल

राहुल गांधी को नोटिस भिजवा कर बीजेपी नेताओं ने गलती कर दी
अदानी ग्रुप के कारोबार (Adani Business Issue) को लेकर राहुल गांधी (Rahul Gandhi) अपने स्टैंड पर कायम तो हैं ही, विशेषाधिकार हनन के नोटिस (Breach of Privilege Notice) का जवाब देने के बाद तो प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के खिलाफ और भी आक्रामक हो गये हैं - बीजेपी को कोई फायदा हुआ क्या?
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'एंडरसन' नाम भारत सरकार के गले की हड्डी कल भी बना था और आज भी बन गया है!
गुरु अपने होनहार चेले के लिए कहते भी हैं कि एंडरसन कुछ भी खोद निकालने के लिए मशहूर है, यदि उन्हें किसी भी घपले की भनक लगती है तो वो उसे बेपर्दा कर ही देते हैं. तब कांग्रेस सरकार सांसत में थी लेकिन चूंकि पंचशाला का प्रथम वर्ष ही था, कहना मुश्किल है इस हादसे ने कितना कंट्रीब्यूट किया या बिलकुल ही नहीं किया 1989 की विदाई में.
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प्रहसन ही है सियासत तो संसद कैसे अछूता रह सकता है?
अडानी की ग्रोथ जर्नी मोदी काल में शानदार रही लेकिन ग्रोथ की एकमेव वजह मोदी काल ही नहीं है. कहावत है एक हद के बाद पैसा ही पैसे को खींचता है. अडानी ने वो हद 2014 के पूर्व यूपीए काल में ही प्राप्त कर ली थी. अडानी ने तौर तरीक़े ग़लत अपनाये, अनियमितता की, मेनीप्युलेट भी किया लेकिन ये सब तब तक क़यास ही रहेंगे जब तक जांच होकर सिद्ध नहीं हो जाते.
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