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Updated: 01 अप्रिल, 2023 05:26 PM
बिलाल एम जाफ़री
बिलाल एम जाफ़री
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2019 के लोकसभा चुनाव और 2024 के चुनाव में क्या कुछ कॉमन है? शायद आपका जवाब न में हों लेकिन जब हम इस सवाल को राहुल गांधी की नजर से देखते हैं तो जवाब दूसरा है और कुछ चीजों में हमें समानता दिखाई देती है. 2019 के आम चुनावों में जहां राहुल गांधी ने अनिल अंबानी को मुद्दा बनाया था. तो वहीं जब 2024 के चुनावों में 300 के आस पास दिन बचे हैं राहुल गांधी ने गौतम अदानी की नीयत को कटघरे में रखा है. आइये देखें कि राहुल गांधी के लिहाज से 2019 और 2024 के चुनावों में क्या - क्या समानता है और कैसे इन समानताओं को मुद्दा बनाकर राहुल अपनी राजनीतिक रोटियां सेंक रहे हैं.

Rahul Gandhi, Congress, Loksabha Election, Anil Ambani, Rafale, Scam, Gautam Adani, Narendra Modiअनिल अंबानी की तरह हालिया वक़्त में गौतम अदानी को घेरने वाले राहुल जानते हैं कि 2024 में क्या होगा

एक बिजनेसमैन

जैसा कि हम ऊपर ही बता चुके हैं. 19 में कांग्रेस पार्टी के पूर्व अध्यक्ष राहुल गांधी ने अनिल अंबानी को मुद्दा बनाया और उन्हें जमकर घेरा था. भले ही तब अनिल अंबानी मामले को लेकर केंद्र की मोदी सरकार ने उनकी तबियत से आलोचना की हो लेकिन राहुल को उन आलोचनाओं से कोई फर्क नहीं पड़ा और जिस तरह उन्होंने अनिल अंबानी पर आरोपों की झड़ी लगाई उसे जारी रखा. आज जब हमारे सामने 24 के आम चुनाव हैं तो उसी तरह राहुल गांधी की हिट लिस्ट पर गौतम अदानी हैं. अलग अलग मंचों से लेकर ट्विटर और फेसबुक तक राहुल लगातार गौतम अदानी पर गंभीर आरोप लगा रहे हैं और यहां भी सत्ता पक्ष द्वारा उनका वही हाल किया जा रहा है जो उसने इनके साथ 2019 में किया.

एक आरोप

19 के उस दौर के बैकड्रॉप में जाएं तो राहुल गांधी ने राफेल की खरीद फरोख्त को मुद्दा बनाया था और अनिल अंबानी को ढाल बनाकर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी पर कई गंभीर आरोप लगाए थे. राहुल गांधी ने कहा था कि प्रधान मंत्री और अनिल अंबानी ने राफेल सौदे के अंतर्गत संयुक्त रूप से भारतीय रक्षा बलों पर सर्जिकल स्ट्राइक की है. तब राहुल इतने पर ही रुक जाते तो भी ठीक था. उन्होंने प्रधानमंत्री को सम्बोधित करते हुए ये तक कहा था कि उन्होंने हमारे शहीद जवानों के खून का अपमान किया जिसके लिए उन्हें शर्म आनी चाहिए.

राहुल ने ये भी कहा था कि प्रधानमंत्री मोदी ने भारत की आत्मा को धोखा दिया है. इसी तरह जब हम मौजूदा वक़्त को देखते हैं तो राहुल अपने भाषणों में अदानी की क्लास लगाते हुए नजर आ रहे हैं. अदानी मामले पर राहुल का कहना यही है कि पीएम ने देश के आम आदमी की गाढ़ी कमाई को दांव पर लगाया और समय समय पर गौतम अदानी का फेवर किया.

बीते दिनों राहुल गांधी ने बार बार इसी बात को दोहराया कि गौतम अडानी के नेतृत्व वाले अडानी समूह के स्वामित्व वाली शेल कंपनियों में 3 बिलियन डॉलर का बेहिसाब निवेश पीएम मोदी के इशारों पर हुआ. इसके अलावा राहुल ने ये भी कहा था कि देश के कई प्रमुख संस्थानों को पीएम मोदी ने गौतम अदानी को दे दिया है.

एक राशि

2019 में जब राहुल ने अनिल अंबानी और प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की टांग खिंचाई के उद्देश्य से राफेल की खरीद को मुद्दा बनाया तो बार बार उन्होंने अलग अलग धनराशियों का जिक्र किया. कभी राहुल 15 हजार करोड़ की बात करते तो कभी बीस हज़ार करोड़ की जब तक 19 के लोकसभा चुनाव खत्म हुए ये अमाउंट 30,000 करोड़ हुआ जिसके लिए सत्ता पक्ष और उससे जुड़े लोगों ने राहुल गांधी की तीखी आलोचना भी की.

अब जबकि 24 के चुनाव में कुछ ही वक़्त बचा हुआ राहुल ने फिर उसी परंपरा को दोहराया है. गौतम अदानी मामले में भी जो फिगर राहुल गांधी ने जनता या मीडिया के सामने पेश किये हैं उनमें गहरा मतभेद है.

एक नारा

विरोध का एक छोटा सा नियम है. जब भी हम किसी का विरोध करते हैं तो नारों की भी अपनी प्रासंगिकता होती है. 2019 में जहां एक तरफ चौकीदार ही चोर है का नारा दिया था तो जब हम 2024 की इस चुनावी बेला को देखते हैं तो नरेंद्र मोदी गौतम अदानी भाई भाई का नारा हमारे सामने है.

एक घोटाला

19 और 24 के आम चुनावों में समानता ये भी है कि चाहे वो अनिल अंबानी को घेरना हो या फिर गौतम अदानी को आड़े हाथों लेना राहुल गांधी ने कोई बहुत ज्यादा दांव पेंच नहीं लगाए और विषय को एकदम सीधा रखा. अनिल अंबानी मामले में राहुल ने तब सिर्फ राफेल की खरीद में हुई घपलेबाजी का जिक्र किया तो वहीं जब हम गौतम अदानी मामले को देखते हैं तो राहुल यही कहते हुए पाए जा रहे हैं कि अडानी समूह के स्वामित्व वाली शेल कंपनियों में 3 बिलियन डॉलर का बेहिसाब निवेश पीएम मोदी के इशारों पर हुआ.

बिखराव

19 में जब अति हो गयी तो मामला अदालत पहुंचा जहां अनर्गल बातें करने वाले राहुल गांधी को कोर्ट ने आड़े हाथों लिया. ये राहुल गांधी की अति उत्तेजना ही थी जिसके कारण न केवल ख़ारिज हुआ बल्कि नौबत यहां तक आई की बाद में कोर्ट के कहने पर राहुल गांधी को माफ़ी मांगनी पड़ी जिसके लिए कांग्रेस पार्टी की खूब किरकिरी हुई. बात बिखराव की चली है तो भले ही मोदी उपनाम के चलते संसद से राहुल गांधी की सदस्यता जाने ने पूरे विपक्ष को एकजुट कर दिया हो. भले ही विपक्ष अदानी मामले पर जेपीसी की मांग कर रहा हो लेकिन बिखराव हमें टीएमसी की कार्यप्रणाली में दिखता है. अदानी मामले पर तृणमूल कांग्रेस का मानना यही है कि एक ऐसी समिति बने जिसकी जांच संयुक्त संसदीय समिति नहीं बल्कि सुप्रीम कोर्ट की समिति करे

नतीजा

19 में राफेल पर अनिल अंबानी को घेरने वाले राहुल गांधी मुंह की खा चुके हैं. तब जिस तरह उन्होंने अनिल अंबानी की आड़ लेकर कई गंभीर आरोप पीएम मोदी पर लगाए उसका सीधा फायदा भाजपा को हुआ. नतीजा ये निकला कि जब 19 आम चुनावों के परिणाम आए तो भाजपा ने इतिहास रच दिया. अब जबकि 2024 का चुनाव हमारे सामने हैं और जैसे पहले ही राहुल संसद से अपनी सदस्यता गंवा चुके हैं, राजनीतिक विश्लेषकों का एक वर्ग है जो इस बात को मानता है कि 2019 की हो तरह 2024 के आम चुनावों में राहुल गांधी और कांग्रेस मुंह की खाएंगे. भाजपा फिर इतिहास रचेगी और नंबर 19 से ज्यादा होंगे. अंबानी मामले से सबक लेते हुए राहुल गांधी इस बात को समझें कि अदानी का नाम लेकर वो जितना प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को घेरेंगे उतना ही इसका फायदा चुनावों में प्रधानमंत्री और उनकी पार्टी को होगा.

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लेखक

बिलाल एम जाफ़री बिलाल एम जाफ़री @bilal.jafri.7

लेखक इंडिया टुडे डिजिटल में पत्रकार हैं.

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