समाज | एक अलग नज़रिया | 5-मिनट में पढ़ें

अनुपमा शो ने साबित किया हर पति 'वनराज' जैसा होता है और अनुज जैसे सिर्फ कल्पनाओं में होते हैं!
अनुपमा शो को पहले देखकर तसल्ली मिलती थी कि चलो वनराज जैसे लोग हैं तो अनुज जैसे भी तो हैं. मगर फिलहाल जो कुछ शो में दिखाया जा रहा है उस हिसाब से तो रियल दुनिया में अनुज जैसे अच्छे किरदार का अस्तित्व ही नहीं है. सच में ऐसा सीरियल में ही हो सकता है, क्योंकि असल दुनिया में लोग इतनी जल्दी अनुज से वनराज नहीं बन जाते. आपका क्या कहना है?
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अनुपमा सीरियल अब बंद हो जाना चाहिए, क्या यह शो पुरुष विरोधी है?
अनुपमा (Anupama) शो में सारी महिलाएं रोती रहती हैं, अनुपमा की कहानी भी दोबारा उसी मोड़ पर आकर पहुंच गई है जहां से उसने आगे बढ़ने की शुरुआत की थी...अनुज भी अनुपमा पर चिल्ला रहा है, उसे दोष दे रहा है. उससे बात नहीं कर रहा है, उसे ताने मार रहा है. इस शो को देखकर लगता है कि दुनिया का हर पति अत्याचारी और पत्नी बेचारी होती है.
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अनुपमा तलाक के बाद दूसरी शादी करके फंस गई, यहां भी वही जिम्मेदारी वही ताने
अनुपमा, पहली शादी में भी सूरी-सूरी करती थी. अब वह दूसरी शादी में भी सूरी-सूरी कहती रहती है. सॉरी टू से...मगर अनुपमा आज भी वही कर रही है जो 25 सालों तक किया. दर्शकों ने सोचा था कि अनुपमा को तलाक के बाद आगे बढ़ते हुए दिखाया जाएगा मगर यहां तो पति-पत्नी के रूठने मनाने से ही फुर्सत नहीं है.
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क्या खोटे नसीब वाली महिलाओं का सीरियल है अनुपमा?
अनुपमा शो में कुछ तो बात है जो यह टीआरपी में नंबर 1 पर बना रहता है. वरना दुनिया एक रोती हुई महिला को क्यों देखती? असल में कई महिलाओं को लगता है कि सीरियल में उनके जीवन की सच्चाई दिखाई जा रही है, क्योंकि जो कुछ अनुपमा के साथ होता है वह कहीं ना कहीं औरतें अपनी जिंदगी में महसूस करती हैं.
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