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Updated: 14 सितम्बर, 2022 05:51 PM
ज्योति गुप्ता
ज्योति गुप्ता
  @jyoti.gupta.01
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अनुपमा (Anupamaa) शो में इन दिनों कुछ भी दिखाया जा रहा है. महिला सशक्तिकरण से शुरु हुई यह कहानी आज एक अजीबो-गरीब मोड़ पर आकर खड़ी हो गई है. अनुपमा और उसके पूर्व पति वनराज शाह का शादी के 25 सालों बाद तलाक हो गया था, क्योंकि वनराज ने अनुपमा को धोखा दिया था. अब वनराज और अनुपमा का बेटा पारितोष भी अपने पिता के नक्शे कदम पर चलते हुए आखिरकार धोखेबाज ही निकला.

इन दिनों सीरियल में दिखाया जा रहा है कि किंजल ने एक प्यारी सी बच्ची को जन्म दिया है मगर तोषू का बाहर किसी महिला के साथ अफेयर चल रहा है. यानी जो काम पिता ने किया वही अब बेटा दोहरा रहा है.

जिस तोषू ने घर से भागकर किंजल से लव मैरिज की थी. जिस तोषू को किंजल के आगे कुछ दिखता नहीं था. जो तोषू अपनी पत्नी से बहुत प्यार करता था, जो तोषू अपनी प्रेमिका किंजल से शादी करने के लिए पागल हो गया था, वही तोषू अब अपनी पत्नी को धोखा दे रहा है, सीरियसली?

मतलब इस सीरियल में कोई भी शादी टिकने वाली नहीं है. पहले काव्या और उसके पूर्व पति अनिरुद्ध का रिश्ता टूटा...फिर वनराज और अनुपमा का रिश्ता खत्म हुआ...अनुुज की बहन मालविका की शादी खत्म हुई, समर और नंदिनी का ब्रेकअप हुआ और अब किंजल और पारितोष का रिश्ता खत्म होने की कगार पर है. ऊपर ने पाखी और अधिक के बीच जो लव एंगल दिखाया जा रहा है उसमें भी लड़का धोखेबाज ही है...अब इन टूटते दम तोड़ते रिश्तों की कहानी मन में नकारात्मकता तो भरेगी ही...

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दरअसल, इन सारे रिश्ते का टूटने का इल्जाम पुरुषों के माथे ही आया और आने वाले एपिसोड में भी कुछ पुरुष ही गलत होंगे. माने उनकी गलतियों के कारण उनकी पत्नियों और प्रेमिकाओं ने उन्हें छोड़ दिया. आखिर यह सीरियल क्या साबित करना चाहता है? क्या दुनिया के अधिकतर लड़के गलत होते हैं?

जिस तरह से इस शो में पुरुषों के किरदार को दिखाया जा रहा है इस हिसाब से तो दुनिया के अधिकतर लड़के गलत होते हैं और वे अपने पार्टनर को एक दिन धोखा जरूर देते हैं.

जबकि सच यह है कि ऐसा जरूरी नहीं है कि पिता ने अपनी पत्नी को धोखा दिया है तो बेटा भी वही करेगा...मतलब पिता के बाद अब बेटे को भी निगेटिव ही दिखाया जा रहा है.

अनुपमा को दिखाया जाना था एक महिला सशक्तिकरण का उदाहरण के रूप में लेकिन उसने क्या किया? एक तो वह कभी खुश नहीं रह पाती है. वह रोकर आंखें सूजा लेती है. उसका चेहरा उदासी से भरा रहता है. उस पर जिम्मेदारियों का बोझ रहता है. उसे अपने ससुराल और पूर्व ससुराल सबकी जिम्मेदारी निभानी है. वह हमेशा टेंशन में ही रहती है. वह हर वक्त लंबे-लबें भाषण देती है. ऊपर से अब अनुज भी उसपर चिल्ला देता है.

जिस अनुपमा को अपने कदमों पर खड़ा होना था, जिसे अमेरिका में शो करना था अब वह एक अमीर इंसान से शादी करके सेट हो गई है. अब तो वह ऑफिस भी नहीं जाती बस घर से ही पति की की कंपनी को चलाती है. क्या अनुपमा की तरह हर तलाकशुद महिला को जिंदगी में इस तरह का दूसरा मौका मिलेगा? जिसे सब बना बनाया मिल जाए? अनुपमा ने डांस करके अपनी पहचान बनाई थी मगर अब वह डांस करते हुए भी नहीं दिखती. उसके मां, दादी मां, पत्नी, बेटी की जिम्मेदारी निभाने से फुरसत नहीं है. एक ताना देने वाली बा से पीछा छूटा तो बरखा के रूप में चाल चलने वाली जेठानी मिल गई.

सीरियल के हिसाब से तो शादी करके ही महिला खुश रह सकती है. दर्शक अनुपमा को आगे बढ़ने हुए देखना चाहते हैं मगर वह अस्पताल में सेवा करती रहती है. आखिर वह कब तक रोकर आंखें सुजाती रहेगी? शुरुआत में कहानी फिर भी अपनी बीट पर रहा लेकिन इन दिनों ऐसा लग रहा है कि मेकर्स को कुछ मिल नहीं रहा है इसलिए वे पारितोष को कलंकित कर रहे हैं. तोषू अनुपमा से कहता है कि "मैं एक हसबैंड के साथ एक मर्द हूं, मुझे जो घर पर नहीं मिला उसे खोजने बहार गया."

ऐसा लग रहा है कि हर मर्द ऐसा ही होता है. आप भी जानते हैं कि दुनिया का हर पुरुष वनराज की तरह नहीं होता है. मगर दर्शकों के बीच तो यही संदेश जा रहा है कि जैसा बाप वैस बेटा... यह शो इन दिनों यही कह रहा है कि पुरुष हमेशा अत्याचारी और महिला बेचारी होती है.

लोगों को इस शो को देखने की लत लग चुकी है, वे इसी इंतजार में है कि कब इसमें कुछ अच्छा देखने को मिलेगा. मैं खुद इस शो का हर एपिसोड नहीं देखती मगर नजर रहती है कि अनुपमा में चल क्या है? आखिर इस शो में पुरुषों के कैरेक्टर को इतना नकारात्मक क्यों दिखाया जा रहा है. इसे देखकर तो कोई पत्नी अपने पति पर शक करना शुरु कर दे...अब यह नकारात्मकता नहीं है तो क्या है?

 

लेखक

ज्योति गुप्ता ज्योति गुप्ता @jyoti.gupta.01

लेखक इंडिया टुडे डि़जिटल में पत्रकार हैं. जिन्हें महिला और सामाजिक मुद्दों पर लिखने का शौक है.

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