सियासत | 7-मिनट में पढ़ें

Agnipath Row: बिहार में बवाल के बीच जेडीयू-बीजेपी आमने-सामने क्यों?
अग्निपथ को लेकर जेडीयू बीजेपी के बीच के मतभेद को समझा जा सकता है. एक ओर जहां बीजेपी शासित राज्यों ने अग्निवीरों के लिए केंद्र की नौकरी के बाद राज्य सरकारों की सेवा में प्राथमिकता देने का ऑफर दिया है, तो वहीं बिहार में छात्रों के प्रदर्शन के बाद भी बीजेपी की गठबंधन साथी जेडीयू ने छात्रों के लिए ऐसी कोई घोषणा नहीं की है.सियासत | 6-मिनट में पढ़ें

अग्निपथ योजना मोदी सरकार के 'ख़राब पब्लिक कम्युनिकेशन' का एक और नमूना है!
नरेंद्र मोदी की सरकार में सामूहिक फैसले करने की परम्परा के बदले कुछ नेता मंत्री ही महत्वपूर्ण फैसले में शामिल होते हैं जिस कारण कई नेता, मंत्री में जानकारी का अभाव भी साफ़ तौर पर दिखता है. अब कारण चाहे जो भी हो मगर आगे से मोदी सरकार को यह जरूर ध्यान रखना होगा कि ऐसे किसी भी योजना में जिसमें विवाद की संभावना हो उसमें सरकार अपनी बात बेहतर ढंग से आम लोगों के बीच में रखे.समाज | 3-मिनट में पढ़ें

युवाओं में आग भड़का कर, उसी आग में जलता छोड़ भागे खुद को उनका मसीहा बताने वाले!
Agnipath Scheme के विरोध में शांति भंग करने वाले लोगों को समझना होगा कि सही ग़लत की पहचान आपको करनी है. देखिए दो वक़्त की रोटी, सिर पे छत, परिवार की देखभाल आपको ही करनी है इसलिए आप सिर्फ़ अपना सोचिए. जिनके भड़काने पर ट्रेन, बस जला आए देखिए वो भी आज आपको छोड़ कर भाग खड़े हुए हैं.सियासत | 4-मिनट में पढ़ें
समाज | 5-मिनट में पढ़ें

समस्या 'अग्निपथ' में नहीं कहीं और है, जानने के लिए बिहार की ओर नजर घुमा लीजिए...
मोदी सरकार (Modi Government) बिहार के लोगों से उनका हक छीन लेना चाहती है. बताइए सरकारी नौकरी (Agnipath Scheme) ही नहीं रहेगा, तो लड़का के लिए दहेज कौन देगा जी? दहेज छोड़िए, कोई लड़की नहीं मिलेगी. क्योंकि, इस दुनिया में रहने वाले सारे शादीशुदा बिहारी (Bihar) तो सरकारी नौकरी ही ना करते हैं.सियासत | 4-मिनट में पढ़ें
सियासत | बड़ा आर्टिकल

CAA से अग्निपथ तक, मोदी भले विपक्ष से पूछकर सभी काम करें, विपक्षी सहमति की गारंटी नहीं है
इस बात को डंके की चोट पर कहा जा सकता है कि अग्निपथ भले ही अल्प अवधि की सेवा है- मगर अन्य सभी संविदा भर्तियों की तुलना में ज्यादा बेहतर है. विपक्ष को चाहिए कि स्कीम बंद करवाने की जिद की बजाए वह जरूरी सवालों पर ध्यानाकर्षण करे. उसे इतना भर जनादेश मिला है.सियासत | बड़ा आर्टिकल

मोदी अगर 'सपनों का सौदागर' हैं तो राहुल गांधी क्या बेच रहे हैं?
कांग्रेस भले ही प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी (Narendra Modi) पर आरोप लगाती रही हो कि वो लोगों को सिर्फ सपने (Merchant of Dreams) दिखाते हैं, पूरा नहीं करते, लेकिन सच तो ये है कि राहुल गांधी (Rahul Gandhi) की तरफ से लोगों के लिए ऐसा कोई ठोस आश्वासन अब तक नहीं नजर आया है.समाज | 3-मिनट में पढ़ें
