सियासत | 5-मिनट में पढ़ें
ह्यूमर | बड़ा आर्टिकल
'असंसदीय शब्दों' की दास्तान समझाने की एक संसदीय कोशिश...
संसद का मॉनसून सत्र शुरू होने को है. और नेता लोग हो जाएं सावधान! नहीं...नहीं...बारिश और खराब ड्रेनेज सिस्टम या बरसात से लगने वाले जाम से नहीं, बल्कि संसद के दोनों सदनों में अभद्र भाषा के इस्तेमाल से सावधान हो जाएं. क्योंकि असंसदीय शब्दों की नई सूची तैयार की गई है.जिनके बोलने पर लोकसभा और राज्यसभा में मनाही होगी.
ह्यूमर | 5-मिनट में पढ़ें
ध्यान रहे! असंसदीय शब्द पर बैन लगा है, व्यवहार पर नहीं!
भाषा को लेकर संसद के फैसले के बाद, नेता बिरादरी भी भयंकर तनावग्रस्त है कि 'ब्रो अगर हमने भद्र भाषा अपना ली, तो हमारा तो टोटल अस्तित्व ही खतरे में आ जायेगा. पब्लिक का राजनीति पर से विश्वास उठ जायेगा. रोज़गार और शिक्षा से विमुख जनता के नीरस जीवन में रंग भरने कौन आएगा?
सियासत | बड़ा आर्टिकल
‘आंदोलनजीवी’ संसद में ‘जुमलाजीवी’ भी नहीं बोल सकते? ये तो बहुत 'हिपोक्रेसी' है!
मॉनसून सत्र (Monsoon Session) से पहले आयी शब्दों की एक नयी सूची (Unparliamentary Words Full List) के मुताबिक यौन उत्पीड़न', 'कायर' और 'भ्रष्ट' बोलना भी असंसदीय माना जाएगा - और प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी (Narendra Modi) को कोई 'जुमलाजीवी' भी नहीं कह सकेगा.
सियासत | 6-मिनट में पढ़ें
नेताओं की फिसलती जुबान भारतीय राजनीति की गिरावट का शर्मनाक कीर्तिमान रचने जा रही है!
लोकतंत्र के मंदिर 'संसद' में आज की राजनीति नैतिकता और शुचिता को त्याग कर अराजकता का नंगा नाच कर रही है. राष्ट्रीय महत्व के मामलों से लेकर गरीबों से जुड़ी योजनाओं पर भी संकीर्ण मानसिकता की राजनीति की जा रही है. यह संक्रामक रोग अब केवल पार्टी कार्यकर्ताओं, नेताओं, विधायकों, सांसदों तक ही सीमित नहीं रह गया है. सर्वोच्च नेतृत्व भी अब इससे अछूता नहीं रहा है.
सियासत | 5-मिनट में पढ़ें
'आंदोलनजीवी' बना 'शब्दभेदी बाण', सामने आई योगेंद्र यादव की तीखी प्रतिक्रिया!
योगेंद्र यादव की प्रतिक्रिया को देखकर लग रहा है कि इस शब्द को उन्होंने कुछ ज्यादा ही पर्सनली ले लिया है. उन्होंने कहा कि इतना डरते हैं हमसे. ऐसी बातें करना आपको शोभा नहीं देता. प्रधानमंत्री का पद बहुत बड़ा होता है, आपका मन भले ही छोटा हो. ट्विटर पर लाइव किए गए करीब 14 मिनट के इस वीडियो में योगेंद्र यादव ने पीएम मोदी को जमकर आड़े हाथों लिया.
सोशल मीडिया | 6-मिनट में पढ़ें
पहले चौकीदार अब आंदोलनजीवी पीएम जानते हैं खेलने-खाने के लिए लोगों को क्या कितना देना है!
2019 के आम चुनावों के वक़्त मुद्दा राफेल था तो उस समय चौकीदार और अब जबकि किसान आंदोलन ज़ोरों पर है तो आंदोलनजीवी कहकर आंदोलन करने वालों पर पीएम मोदी का तंज. प्रधानमंत्री जानते हैं कि सोशल मीडिया पर लोगों को खेलने-खाने के लिए क्या मुद्दा देना है और किस वक़्त देना है.
सियासत | 7-मिनट में पढ़ें






