समाज | एक अलग नज़रिया | 3-मिनट में पढ़ें
समाज | एक अलग नज़रिया | 2-मिनट में पढ़ें
सोशल मीडिया | एक अलग नज़रिया | 4-मिनट में पढ़ें
सोशल मीडिया | एक अलग नज़रिया | 4-मिनट में पढ़ें
कन्यादान के बजाय 'लौंडा-दान' या कुंवरदान का ख्याल बेतुका है, इससे तो कोर्ट मैरिज ही कीजिये...
इंटरनेट पर एक वीडियो वायरल हो रहा है. जिसमें एक दुल्हन बड़े ही अजीब टोन में कन्यादान और मंगलसूत्र के बारे में अनाप-शनाप बोल रही है. वह मुंह बनाकर कह रही है कि 'मैं एक टिपिकल भारतीय दुल्हन नहीं हूं. मैं जेंडर पर काम करती हूं. मैं सिंदूर, मंगलसूत्र और कन्यादान के खिलाफ हूं. लेकिन, शादी के समय तमाम रीति-रिवाज फॉलो करती दिख रही है.
समाज | एक अलग नज़रिया | 7-मिनट में पढ़ें
सिंदूर की बात चुटकी भर नहीं है, इसके पीछे कथा सोचने पर मजबूर कर देती है!
आपका मन करे तो सिंदूर लगाइए या मत लगाइए, ये पूरी तरह आपकी मर्जी है. आज के जमाने में कई महिलाएं सिंदूर लगाती हैं और कई नहीं भी लगाती हैं. किसी को लगता है कि शादीशुदा को सुहागन की तरह रहना चाहिए तो कई को लगता है कि प्यार, सम्मान और गहरे रिश्ते के लिए सिंदूर की जरूरत नहीं है.
समाज | एक अलग नज़रिया | 3-मिनट में पढ़ें
प्रेमी की लाश से प्रेमिका की मांग में जबरन सिंदूर लगवाने वाले 'समाज' को क्या कहेंगे?
लड़कियों का प्रेम (love) करना गुनाह है, लड़कियों का बेबाक होना होना गुनाह है, लड़कियों का अपने हक के लिए आवाज उठाना गुनाह है, तेज हंसना गुनाह है. सीधे यही कह दो ना कि लड़की होना ही गुनाह है. इस खबर को पढ़ने के बाद आपको गुस्सा आ सकता है. आखिर महिलाओं के साथ अपराध की कोई सीमा है या नहीं...
समाज | बड़ा आर्टिकल
Chhath सिर्फ त्योहार नहीं, मोह का धागा है हम बिहारियों के लिए!
बिहार (Bihar) का कोई भी व्यक्ति देश दुनिया में कहीं भी रहे जैसे ही छठ का त्योहार (Chhath Pooja)आता है उसे अपने गांव, अपने घर और उस घर में होने वाली पूजा. पूजा के बाद बंटने वाले प्रसाद की खूब याद आती है. साफ़ है कि बिहार के किसी भी नागरिक के लिए छठ सिर्फ त्योहार नहीं बल्कि एक इमोशन है.
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