स्पोर्ट्स | बड़ा आर्टिकल

पाकिस्तान को अभी और बर्बाद होना है, इन दो एक्टिव क्रिकेटर्स की ताजा उपलब्धियों से समझिए कैसे?
पाकिस्तान के इन दो मशहूर क्रिकेटर्स के जरिए भी वहां के हालात और पीछे की वजहों को आसान भाषा में समझा जा सकता है. ऐसी चर्चा है कि वहां के तमाम इलाकों में आतंकियों ने अपनी सरकार गठित कर ली है. और भी इलाके टूटने को तैयार हैं. लोग तिल-तिल कर मरने को विवश है. लोगों को भूखे सोना पड़ रहा है.
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Peshawar Blast: मस्जिद के भीतर मुसलमानों का मुसलमानों के द्वारा कत्लेआम!
पेशावर की मस्जिद में हुए बम धमाकों में 90 लोगों की मौत के बाद तमाम तरह के सवाल खड़े हो रहे हैं. तमाम बातें एक तरफ.सवाल ये है कि मस्जिद में नमाज पढ़ते मोमिनों को नमाज में ही बम से उड़ाने वाले सुसाइड बॉम्बर को जन्नत में हूर वगैरह मिलेगी या नहीं? क्योंकि ये काम तो उसने अल्लाह का नाम लेकर ही किया है.
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पीएम मोदी को कोसने वाले बिलावल भुट्टो को भारत ने न्योता भेजकर फंसा दिया
2022-2023 में SCO की अध्यक्षता कर रहे भारत ने पाकिस्तान के विदेश मंत्री बिलावल भुट्टो जरदारी को आमंत्रित किया है. जो इस साल मई में गोवा में होने वाली है. कई मायनों में देखना दिलचस्प है कि बिलावल मीटिंग के सिलसिले में भारत आते हैं या नहीं.
सियासत | बड़ा आर्टिकल

पाकिस्तान के 4 नहीं 40 टुकड़े होंगे, 3 किमी फांसले पर बसे अटारी-वाघा में आटा-तेल की कीमत से यूं समझें
पाकिस्तान भारतीयों से घृणा और मजहब के आधार पर एक अलग देश बना था. भारत और पाकिस्तान के बीच तीन किमी दूरी में आटा-दाल की कीमतों से 74 साल बाद समझा जा सकता है कि वह फैसला कितना गलत था. भारत जरूर अमेरिका या चीन नहीं बन पाया, मगर जितना भी है पाकिस्तान नहीं जाने वाले अपने फैसले पर गर्व कर सकते हैं.
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बाल्टी है या फिर बजूका? बांग्लादेशी बाल्टी का ऐड आपको सोचने पर मजबूर जरूर करेगा!
बांग्लादेश में प्लास्टिक प्रोडक्ट्स बनाने वाली एक कंपनी की बाल्टी का विज्ञापन इंटरनेट पर जंगल की आग की तरह वायरल हो रहा है. विज्ञापन देखें तो उसमें एक हीरो है और उसके सामने गुंडों की पूरी फ़ौज है. हीरो सिर्फ एक लाल बाल्टी के दम पर गुंडों से मुकाबला करता है. कुल मिलाकर जैसा ऐड है ये क्रिएटिविटी की पराकाष्ठा है.
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पार्टी के नेताओं का कोई सार्वजनिक बयान निजी कैसे हो सकता है?
दिग्विजय सिंह द्वारा सर्जिकल स्ट्राइक पर सवाल उठाना भर था. मामले ने तूल पकड़ लिया और दिलचस्प ये रहा कि राहुल गांधी समेत कांग्रेस पार्टी के तमाम नेताओं ने खुद को दिग्विजय सिंह के बयान से अलग कर लिया है. सवाल ये है कि पार्टी के नेताओं का सार्वजनिक दिया गया बयान निजी कैसे हो सकता है?
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