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सिर्फ जोशीमठ ही नहीं उत्तराखंड के ये 5 शहर भी 'विकास' की भेंट चढ़ गए हैं!
एक ऐसे समय में जब पवित्र शहर जोशीमठ पहले से ही डूब रहा है, 678 घरों को निवास के लिए अनुपयुक्त घोषित किया गया है. उत्तराखंड में पांच ऐसी अन्य जगहें हैं जहां के लिए अगर वक़्त रहते नहीं चेता गया तो फिर आने वाले वक़्त में कुछ संभालने को बचेगा नहीं.
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Uttarakhand flood: ग्लेशियरों के संकेतों को न भांपने का ख़ामियाज़ा
तपोवन में मचा कोहराम हमारी हठधर्मिता और नकारेपन का नतीजा है. केदारनाथ हादसे के बाद भी हमने कोई सबक नहीं सीखा. अब भी अगर हम सतर्क नहीं हुए, तो कुछ अंतराल के बाद अगली तबाही झेलने के लिए फिर से तैयार रहना चाहिए. कुदरत ने दूसरी बार अपने रुद्र रूप से हमें परिचय कराया.
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Uttarakhand Glacier Burst: प्रकृति ने तो पहाड़ों पर से इंसानी अतिक्रमण ही साफ किया है!
उत्तराखंड के ग्लेशियर का इस तरह से पिघलना और हिमस्खलन और चट्टानों का दबाव को न सह पाना मानव की इस क्षेत्र में अतिशय छेड़खानी का ही परिणाम है. जब-जब ये छेड़खानी अपनी हदें लांघेंघी, प्रकृति अपने हिसाब से अपनी बात रखेगी.
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उत्तराखंड में मनुष्य को सजा देकर प्रकृति ने अपना उधार चुकता किया है!
उत्तराखंड में एक बार फिर सैलाब आया है, इस बार भी आपदा कहकर ज़िम्मेदारियों से भागा जा रहा है. पहाड़ फिर से दर्द झेल रहा है, 2013 की झलक 2021 में दिखाई दे रही है. सबकुछ वैसा नहीं है ये शुक्र है लेकिन जो है उससे बचा जा सकता है. बड़ा सवाल ये भी है कि आपदा आने के बाद नींद से जागना कहां तक जायज है?
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Amphan cyclone: तूफान से निपटने की तैयारियों में ओडिशा से बहुत पीछे है ममता का बंगाल
अम्फान तूफान (Amphan Cyclone) की चपेट में यूं तो पश्चिम बंगाल (West Bengal) और ओडिशा एक समान आए हैं, लेकिन बंगाल की तबाही की चर्चा ज्यादा है. 80 लोग जान गंवा चुके हैं. दोनों जगह रह चुके होने के अनुभव से बता रहा हूं कि इन दोनों राज्यों में तूफान से निपटने की तैयारी में फर्क क्या है...
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