सियासत | 6-मिनट में पढ़ें
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'सेक्युलरवाद' के जरिए राजनीतिक पार्टियों का फायदा तो है!
भारतीय सेक्युलरवाद दैवी बनाम सांसारिक न हो कर सर्वधर्मसमभाव का है. यह बहुलता के प्रति सहनशीलता और राज करने के नियमित सिद्धांत के रूप में मान्यता देने का है. पर भारतीय और पश्चिमी सेक्युलरवाद में फर्क करने का मतलब यह नहीं है कि हम राज्य की सेक्युलर पहचान पर ही सवाल उठाना शुरू कर दें.
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भारतीय जनता पार्टी से क्या आदिवासी नाराज हैं?
कर्नाटक में आदिवासी समुदाय का वोट बैंक करीब 35 सीटों पर असर डालता है. जिसमें से 15 सीटों खुद एसटी वर्ग के लिए आरक्षित है. भाजपा इस बार एसटी वर्ग के लिए आरक्षित 15 सीटों में से एक भी सीट नहीं जीती. 14 पर कांग्रेस और 1 पर जेडीएस ने जीत हासिल की है. इस नतीजे से ये आसानी से कहा जा सकता है कि आदिवासी वोट बैंक भाजपा ने नाराज है.
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बजरंग दल के मुद्दे से भाजपा या कांग्रेस को नहीं जेडीएस को हुआ बड़ा सियासी नुकसान
कांग्रेस ने कर्नाटक चुनाव को मुख्य रूप से स्थानीय और राजकीय अराजकता के मुद्दे पर लड़ा. चाहे वो 40 फीसदी कमीशन का मुद्दा हो या कठपुतली मुख्यमंत्री का. कांग्रेस के स्थानीय छत्रप प्रदेश अध्यक्ष डी के शिवकुमार और पूर्व मुख्यमंत्री सिद्धरमैया द्वारा कैम्पेन की कमान मजबूती से सम्भाली गई.
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सिद्दरमैया पर पोर्न का आरोप लगा चुके लक्ष्मण भी हैं पोर्न के दीवाने, अब दोनों की अच्छी छनेगी!
सदन में बैठकर पोर्न देखने के कारण सुर्खियों में आए कर्नाटक के पूर्व उप मुख्यमंत्री लक्ष्मण सावदी कर्नाटक विधानसभा चुनाव में टिकट कटने से आहत हो गए हैं. लक्ष्मण ने भाजपा छोड़ दी है और कांग्रेस का दामन थाम लिया है. ध्यान रहे ये वही कांग्रेस है जिसने सावदी की पोर्न को बड़ा मुद्दा बनाकर खूब विरोध किया था.
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कर्नाटक विधानसभा चुनाव में भाजपा के पाले में किच्चा सुदीप के आने के मायने क्या हैं?
भाजपा की तरफ से सुदीप के ट्विस्ट ने कर्नाटक विधानसभा चुनाव को खासा रोचक बना दिया है. आइये कुछ पॉइंट्स से समझे कि सुदीप का चुनावी दंगल में कूदना कैसे एक ऐसी घटना है जिसे कर्नाटक के वर्तमान राजनीतिक परिदृश्य में इग्नोर नहीं किया जा सकता.
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19 में अंबानी खेल चुके राहुल गांधी 2024 के चुनावों में अदानी को लाकर पुराना दांव खेल रहे हैं!
2019 के आम चुनावों में जहां राहुल गांधी ने अनिल अंबानी को मुद्दा बनाया था. तो वहीं जब 2024 के चुनावों में 300 के आस पास दिन बचे हैं राहुल गांधी ने गौतम अदानी की नीयत को कटघरे में रखा है. आइये देखें कि राहुल गांधी के लिहाज से 2019 और 2024 के चुनावों में क्या - क्या समानता है.
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