समाज | एक अलग नज़रिया | 4-मिनट में पढ़ें
पुरुषों के कपड़े धोने और सुखाने की जिम्मेदारी पत्नियों की क्यों?
वॉशरूम में जाते ही कई पुरुष चिल्लाना शुरु कर देते हैं कि मेरा तौलिया कहां है? नहा कर आने के बाद मेरा अंडरवियर कहां है? मेरा शर्ट प्रेस है कि नहीं? मेरे मोजे नहीं मिल रहे. अरे यार मैं पर्स तो भूल ही गया. मेरी टाई देखी है क्या? मेरा टिफिन टेबल पर नहीं है. तुम्हें समझ में नहीं आता कि मैं ऑफिस के लिए लेट हो रहा हूं. पता नहीं ध्यान कहां रहता है तुम्हारा?
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इस दोस्ती को क्या नाम दें? 25 साल से पहन रहे एक जैसे कपड़े
हमेशा एक दोस्त को पता होता है कि दूसरा कहां है. एक को अकेला देखने की लोगों की आदत नहीं है. इनकी यारी ऐसे है कि साए की तरह एक-दूसरे के साथ रहने के लिए दोनों एक-दूसरे के पड़ोसी बन गए. दोनों पिछले 40 साल से दोस्त हैं. इनका नाम रवींद्रन पिल्लई और उदयकुमार हैं.
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