सियासत | 5-मिनट में पढ़ें

भारत की आर्थिक छलांग के लिए उत्तर प्रदेश महत्वपूर्ण क्यों है?
भारत की आर्थिक विकास का रास्ता उत्तर प्रदेश से गुजरता है. अगर उत्तर प्रदेश का विकास नहीं होगा तो भारत आगे नहीं बढ़ सकता. उत्तर प्रदेश का लगातार तेजी से विकास के रास्ते पर चलना एक उम्मीद जगाता है. राज्य में करोड़ों लोग गरीबी की रेखा से बाहर हुए हैं.
सियासत | 6-मिनट में पढ़ें
सियासत | 3-मिनट में पढ़ें

बीवियों को किनारे करने में तो जीत ही जाएंगी सपा की वंदना...
राजधानी लखनऊ मेंमेयर सीट के लिए सपा ने कमजोर समाज की मजबूत आवाज़ बनने वाली वंदना मिश्रा को अपना प्रत्याशी घोषित करने के बाद भाजपा की मुश्किल बढ़ा दी हैं. वंदना ब्राह्मण हैं और भाजपा इस जाति के वोट को अपना सुरक्षित वोट मानकर यूपी में पिछड़ी जातियों के चेहरों को एहमियत ज्यादा देती रही है.
सियासत | 3-मिनट में पढ़ें

मायावती मुश्किल में, इधर जाएं या फिर उधर...
सियासत में कभी भी कुछ भी हो सकता है. ऊंट की नई करवट किसी भी पुराने बयान या संकेत को ग़लत भी साबित कर सकती हैं. ताज्जुब नहीं कि भाजपा के खिलाफ एकजुटता मूर्तरूप ना ले सके. संभव ये भी है कि ना.. ना... करके मायावती भी विपक्षी खेमें में शामिल हो जाएं. यदि ऐसा हुआ तो महागठबंधन और बसपा दोनों को लाभ हो सकता है.
सियासत | 6-मिनट में पढ़ें
सियासत | बड़ा आर्टिकल

क्या उत्तर प्रदेश में कानून व्यवस्था का यह सही दौर चल रहा है?
हाल ही में उत्तरप्रदेश में जो घटना हुई है उससे पूरे देश में सियासी परा गरम है. राजूपाल हत्याकांड के मुख्य गवाह उमेश पाल और उनके सरकारी गनर की प्रयागराज में हुई हत्या के मामले से उत्तर प्रदेश की सियासत गर्माने का मौका दे दिया हैं. यह हत्याकांड से पूरा प्रदेश ही नहीं पूरे देश में चर्चा है.
समाज | बड़ा आर्टिकल

अब खैर नहीं हनुमान की, पॉलिटिक्स की कुदृष्टि 'हनुमान चालीसा' पर भी पड़ सकती है
नेताओं की कुदृष्टि पड़ चुकी है, ख़ास जो हो गए हैं उनके. कोई आश्चर्य नहीं बयान आता ही होगा कि हनुमान चालीसा अंधविश्वास की पैरोकारी करती है, बढ़ावा देती है, भूत पिशाच निकट न आवे, महावीर जब नाम सुनावे लाउडस्पीकर में बोला जो जाने लगा है.
सियासत | बड़ा आर्टिकल

2024 का शोर, 80 पर जोर: भाजपा में बैठक और गहन वार्ता, सपा-बसपा भी बना रही रास्ता
भाजपा मिशन-2024 में जुट गई है. उसकी शुरुआत पूर्वांचल से की गई है. जेपी नड्डा ने जब पहली जनसभा करने के लिए किसी जिले को चुना तो वह गाजीपुर है. क्योंकि 2019 में भाजपा इस सीट को नहीं जीत पाई थी. दिल्ली में पार्टी का दो दिनों तक जो मंथन हुआ था, उसमें भी सबसे ज्यादा जोर इसी बात पर दिया गया कि हारी हुई बाजी को कैसे जीता जाए.
सियासत | बड़ा आर्टिकल