समाज | एक अलग नज़रिया | 4-मिनट में पढ़ें
मां की ममता सबको दिखती है पिता का दर्द किसी को महसूस क्यों नहीं होता?
वे लोग झूठे हैं जो यह कहते हैं कि पुरुष रो नहीं सकते, उन्हें दर्द नहीं होता. जबकि सच यह है कि एक पिता का दिल पत्थर का नहीं होता है, वह अपने बच्चों के लिए वह सब करता है जो कर सकता है. वह अपने परिवार को हर खुशी देना चाहता है. इसलिए दिन-रात मेहनत करता है.
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जो लोग कहते हैं कि पुरुष सैक्रिफाइस नहीं करते हैं, वे झूठ बालते हैं
यह धारणा गलत है कि सारा त्याग लड़कियां करती हैं. ऐसा कहने वाले शायद किसी जिम्मेदार शादीशुदा पुरुष से नहीं मिले हैं. पुरुष भी त्याग करते हैं. कभी बहन, कभी पत्नी, कभी मां तो कभी बेटी के लिए वो भी कुर्बानियां देते हैं. वो परिवार की जिम्मेदारी उठाने के लिए दिन रात काम करते हैं.
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छोटी बहन साइकिल से ना गिरे, भाई ने जो जुगाड़ किया वह सुपर हीरो ही सकता है!
भाई अपनी छोटी बहन (Sister) को साइकिल की पिछली सीट पर बिठाए हुए है. शायद दोनों कहीं जा रहे हैं. मगर उसे डर है कि उसकी बहन साइकिल से गिर सकती है इसलिए वह दिमाग लगाता है और जुगाड़ लगाकर बहन के दोनों पैरों को साइकिल के आगे की तरफ करके कपड़े से अच्छी तरह बांध देता है, ताकि बहन सुरक्षित रह सके.
समाज | एक अलग नज़रिया | 5-मिनट में पढ़ें
समाज | 2-मिनट में पढ़ें
सिर्फ भाई दूज क्यों आखिर बहन दूज क्यों नहीं? सवाल तो होना ही चाहिए
अब आज का पति डबल एयर बैग वाली स्कोडा लौरा में घूमता है. हेल्थ इंश्योरेंस रखता है. वॉर के नाम पर ऑफिस में बैक बिचिंग झेलता है और एक्सीडेंट के नाम पर बाथरूम में भी नहीं फिसलता है. अब व्रत इसलिए रखे जा रहे हैं कि सदियों से रखे जाते हैं. इसमें ग़लत क्या है? कुछ नहीं! बहन दूज मनाने में हर्ज़ क्या है फिर? कोई भी नहीं!
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ह्यूमर | 4-मिनट में पढ़ें
सोशल मीडिया | एक अलग नज़रिया | 3-मिनट में पढ़ें
मुझे ज़िंदगी की दुआ देने वाले हंसी आ रही है तेरी सादगी पर, बच्ची का दर्द इसी तस्वीर में है!
11 साल की यह बच्ची रोज छोटे बच्चे को लेकर स्कूल जाती है. उसे गोद में लेकर पढ़ाई करती है, क्योंकि उसे पढ़ने की ललक है. बड़ी बहन तो वैसे भी छोटे भाई-बहन की दूसरी मां ही बन जाती है. माता-पिता जिंदा है, लेकिन उन्हें बच्चों का पेट भी तो पालना है.
सियासत | 4-मिनट में पढ़ें



