सियासत | बड़ा आर्टिकल
मुस्लिम वोट मिल जाये तो भी मोदी का बदला रूप बीजेपी सपोर्टर बर्दाश्त नहीं कर पाएगा
मौलाना महमूद मदनी (Maulana Mahmood Madani) भले कहें कि बीजेपी-RSS से कोई दुश्मनी नहीं है. मोहन भागवत (Mohan Bhagwat) की बात भी अलग है, लेकिन प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी (Narendra Modi) का मुस्लिम समुदाय के बीच ज्यादा नजर आना बीजेपी के कट्टर समर्थकों को शायद ही अच्छा लगे.
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मोदी की ट्रिपल इंजन सरकार मुहिम का परीक्षण भी चुनावी साल में हो ही जाएगा
मिशन 2024 के लिए मौजूदा चुनावी साल (Elections 2023) में बीजेपी किसी भी स्तर पर ही कोई कसर बाकी नहीं रखना चाहती. ट्रिपल इंजन सरकार (Triple Engine Sarkar) का जो फॉर्मूला प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी (Narendra Modi) ने आगे बढ़ाया है - असली मकसद उसका हर जगह जमीन मजबूत करना ही है.
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क्या प्रधानमंत्री मोदी की मुंबई यात्रा बीएमसी चुनाव की आहट हैं?
प्रधानमंत्री मोदी की मुंबई यात्रा को लेकर विपक्ष का मानना है कि यह पूरी तरह से राजनीतिक दौरा था. और बीएमसी ( मुंबई महानगर पालिका ) चुनावों के मद्देनजर प्रधानमंत्री मोदी मुंबई आए. माना ये भी जा रहा है कि पीएम के मुंबई पहुंचने से कार्यकर्ताओं को बल मिलेगा.
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आदित्य ठाकरे के खिलाफ जांच का संकेत सिर्फ चुनावी हथकंडा ही तो है
बीएमसी चुनाव होने की हाल फिलहाल कोई संभावना नहीं है, लेकिन महाराष्ट्र की राजनीति करवटें उसी हिसाब से बदलने लगी है - सुशांत सिंह राजपूत केस (SSR Case) के बहाने शिंदे गुट (Eknath Shinde) फिर से आदित्य ठाकरे (Aditya Thackeray) को घेरने की कोशिश करने लगा है.
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आदित्य ठाकरे पटना पहुंच कर भी कोई राजनीतिक बातचीत नहीं करते तो क्या ही कहें?
तेजस्वी यादव (Tejashwi Yadav) से मिलने आदित्य ठाकरे (Aditya Thackeray) मुंबई से पटना पहुंचे. नीतीश कुमार (Nitish Kumar) से भी मिल लिये. लेकिन अगर कोई राजनीतिक विचार विमर्श नहीं हुआ फिर तो उद्धव ठाकरे वाली शिवसेना का भविष्य अंधकारमय समझा जाएगा - हालांकि, ऐसा हुआ नहीं होगा!
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सिर्फ एकनाथ शिंदे नहीं, अंधेरी उपचुनाव सभी दलों के लिए छमाही इम्तिहान जैसा
एकनाथ शिंदे (Eknath Shinde) की महाराष्ट्र सरकार के 100 दिन पूरे हो चुके हैं और अंधेरी उपचुनाव (Andheri By Election) पहली परीक्षा बन कर सामने आया है - ये उद्धव ठाकरे (Uddhav Thackeray) के लिए इम्तिहान तो है ही, बीजेपी भी इसे हल्के में नहीं लेने जा रही है.
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महाराष्ट्र में उद्धव ठाकरे-एकनाथ शिंदे में रार होती रहेगी और इसके पीछे कारण पर्याप्त हैं!
चाहे वो पार्टी का नाम और चुनाव चिन्ह हो या फिर सांसद और बाकी विधायक, बीएमसी और अन्य निगम, राष्ट्रीय कार्यकारिणी, पदाधिकारी व्यापारियों, युवाओं और महिलाओं के लिए संबद्ध विंग, सेना के कार्यालय तमाम चीजें हैं जिनपर मौजूदा वक़्त में उद्धव ठाकरे का कब्ज़ा है.ऐसे में शिंदे और उद्धव के बीच भविष्य में भी विवाद होने की पूरी गुंजाइश है.
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एकनाथ शिंदे क्या आने वाले वक़्त में बीजेपी के लिए मास्टरस्ट्रोक साबित होंगे?
भाजपा अभी से 2024 के लोकसभा चुनाव की तैयारियों में जुट गई है. महाराष्ट्र के लिए भी बीजेपी ने ठोस प्लान बनाया है. बीजेपी यह चाहती है की लोकसभा और विधान सभा चुनाव में उनका सीधा मुकाबला कांग्रेस और एनसीपी के गठबंधन से हो . लोकसभा चुनाव में फ्रंट पर एनसीपी-कांग्रेस गठबंधन के सामने बीजेपी खुद को देखना चाहती है.
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