सियासत | 4-मिनट में पढ़ें

रुक नहीं रहा सिर तन से जुदा का नारा, मोहन भागवत से राहुल तक सबके सब डरे हुए और चुप क्यों हैं?
संघ गंगा जमुनी तहजीब 2.0 पर भी काम करने की कोशिश में है, लेकिन उन्मादी भीड़ लोगों के घर के सामने पहुंच कर सिर तन से जुदा करने की धमकियां दे रहा है. क्या भारत की सड़कों को सीरिया बनाने की खुली छूट दे रही हैं सरकारें?
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33 साल बाद सलमान रुश्दी पर हुए हमले से नूपुर शर्मा की तुलना जरूरी है
भारतीय मूल के ब्रिटिश लेखक सलमान रुश्दी (Salman Rushdie) ने 1988 में 'द सेटेनिक वर्सेज' (The Satanic Verses) नाम की किताब लिखी थी. सलमान रुश्दी के खिलाफ 1989 में फतवा जारी हुआ था. इसके 33 साल बाद रुश्दी को ईशनिंदा के नाम पर निशाना बना लिया गया है. तो, नूपुर शर्मा (Nupur Sharma) की बात करना जरूरी है.
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'सिर तन से जुदा' का सिलसिला थामने के लिए सरकारों को ही आगे आना होगा
हिंदू-मुस्लिम दंगे की कई वजह होती थीं, लेकिन पिछले कुछ दिनों में 'नबी की शान में गुस्ताखी' (Sar Tan Se Juda) का बहाना लेकर मुस्लिम कट्टरपंथियों ने जो खूनखराबा किया है, उसे अब बर्दाश्त नहीं किया जाना चाहिए. इस खूनखराबे को 'भावना आहत' होने की आड़ लेकर जायज नहीं ठहराया जा सकता.
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Nupur Sharma: सुप्रीम कोर्ट ने जो आज कहा, वह 1 जुलाई को क्यों नही कहा?
सुप्रीम कोर्ट (Supreme Court) के जस्टिस जेबी पारदीवाला (JB Pardiwala) और जस्टिस सूर्यकांत (Surya Kant) की बेंच ने इस बार केवल केस से जुड़ी बातें ही कहीं हैं. आसान शब्दों में कहें, तो गिरफ्तारी से राहत देने के साथ ही मौखिक टिप्पणियों के मामले में भी नुपुर शर्मा (Nupur Sharma) को राहत दी है.
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पैगंबर टिप्पणी विवाद: भाजपा नेता दिलीप घोष की दो टूक बातों को समझने की जरूरत क्यों है?
भाजपा नेता दिलीप घोष (Dilip Ghosh) ने पैगंबर टिप्पणी विवाद (Prophet Remark Row) पर प्रतिक्रिया देते हुए कहा कि 'जिस विचारधारा से ये घटनाएं (उदयपुर और अमरावती हत्याकांड) हो रही हैं, उसके खिलाफ बोलने में दुनिया डरती है. जो लोग तर्क से जीत नहीं सकते हैं, वो तलवार निकाल लेते हैं. और, ऐसा बहुत समय से हो रहा है.'
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