सियासत | बड़ा आर्टिकल

राजस्थान: अशोक गहलोत और सचिन पायलट की लड़ाई का अंजाम क्या होगा?
पिछले इतिहास को खंगाला जाए तो 200 सदस्यीय सदन में 21 सीटों पर सिमट जाने के बाद से पार्टी को विधानसभा की जीत तक ले जाने के बाद, दिसंबर 2018 के चुनावों के बाद पायलट को मुख्यमंत्री पद का स्वाभाविक दावेदार माना जा रहा था, लेकिन ऐसा नहीं हुआ.
सियासत | बड़ा आर्टिकल
सियासत | 4-मिनट में पढ़ें

43 डिग्री तापमान में सचिन पायलट की यात्रा के सियासी मायने क्या हैं?
सचिन पायलट अभी निर्णय लेने वाले पद पर नहीं रहे हैं. इसलिए टेस्टेड नहीं है. उपमुख्यमंत्री के रूप में काम काज की तारीफ होती है. ईमानदार नेता की छवि रही है. अगर, सचिन पायलट को निकाला जाता है तो उस सहानुभूति में राजस्थान में कांग्रेस को बड़ा नुकसान हो सकता है.
सियासत | 6-मिनट में पढ़ें
सियासत | बड़ा आर्टिकल
सियासत | बड़ा आर्टिकल

चुनाव से ठीक पहले सवाल फिर वही है ,आखिर राजस्थान में कब बनेगा कोई जाट मुख्यमंत्री?
कांग्रेस ने गोविंद सिंह डोटासरा को प्रदेश अध्यक्ष बना रखा है. मगर उनका कद मुख्यमंत्री पद की दौड़ में शामिल होने का नहीं बन पाया है. प्रदेश अध्यक्ष बनने से पूर्व डोटासरा राजस्थान सरकार में राज्यमंत्री ही थे. माना जा रहा है कि राजस्थान में जाट फैक्टर बड़ा खेल करेगा.
सियासत | 4-मिनट में पढ़ें

डॉक्टर्स विरोध करें सो करें, राइट टू हेल्थ बिल से राजस्थान में गहलोत की कुर्सी सेफ है
आने वाले वक़्त में राजस्थान में विधानसभा चुनाव हैं. ऐसे में राइट टू हेल्थ बिल के रूप में कहीं न कहीं मुख्यमंत्री अशोक गेहलोत ने बड़ा दांव खेला है. यानी अगर ये दांव फिट बैठ गया तो चाहे वो भाजपा हो या फिर कोई और दल शायद ही कोई राजस्थान में अशोक गहलोत और कांग्रेस की जड़ों को कमजोर कर पाए.
सियासत | 6-मिनट में पढ़ें

राजस्थान में गहलोत की नई सियासी चाल से विपक्ष चित्त नजर आ रहा है
राजस्थान में अगले विधानसभा चुनाव में मात्र आठ महीने का समय बचा है. इसीलिए गहलोत राजनीति के मैदान में खुलकर खेल रहे हैं. पिछले 30 वर्षों से राजस्थान में हर पांच साल बाद सरकार बदलने का मिथक चला आ रहा है. मगर मुख्यमंत्री गहलोत अगले विधानसभा चुनाव में इस मिथक को तोड़ कर फिर से कांग्रेस की सरकार बनाना चाहते हैं.
सियासत | बड़ा आर्टिकल