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उजड़े हुए रविंद्रालय को आबाद करने का प्रयास...
लखनऊ के रंगमंच का मरकज रविंद्रालय कभी अपनी कलात्मक गतिविधियों से गुलज़ार रहता था, बरसों से यहां के कपाट बंद पड़े हैं, अब ये खुल जाएंगे. जिसका मंच देश के हर बड़े कलाकार से गुलज़ार हुआ, जिसकी कुर्सियां देश के कई प्रधानमंत्रियों, मुख्यमंत्रियों से सुशोभित हुईं. आज रवीन्दालय के मंच को बुनियादी जरूरते़ लाइट-साउंड और ढंग का पर्दा भी नसीब नहीं है.
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Surekha Sikri: भारतीय मां की तरह हर धर्म, संस्कृति, भाषा और रीति-रिवाज जीना जानती थीं!
एक्टर सुरेखा सीकरी की मौत से बॉलीवुड और थियेटर इंडस्ट्री को गहरा आघात लगा है. बुजुर्ग किरदारों में इस बुजुर्ग अदाकारा का कोई ज़ोड़ नहीं था. वो हिन्दुस्तान की तरह थीं, वो भारत माता जैसी थीं, जिनके अभिनय के आंचल पर किस्म-किस्म की संस्कृतियो, क्षेत्रीय भाषाओं, लोक शैलियों के सितारे चमकते थे. उनकी अदाकारी के हुनर में तमाम संस्कृतियां जीने का सौंदर्य था.
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