सिनेमा | 4-मिनट में पढ़ें
'मंटो इस्मत हाजिर है' का जब भी मंचन होता है, हिट ही रहता है
अठारह साल बाद भी मंटो और चुगताई सरीखे अच्छे लेखकों की कृतियों पर आधारित हाउसफुल शो हो रहे हैं. हालांकि पृथ्वी थियेटर के मंच की भी अपनी यूएसपी है नाटक प्रेमियों को खींचने की. 'मोटले' नाम की सार्थकता के अनुरूप ही थोड़ा प्रहसन है, चुटीलापन है, विविध साज सज्जा है और लिबरल होने तथा दिखने का मकसद भी है.
सिनेमा | 1-मिनट में पढ़ें



