सियासत | 3-मिनट में पढ़ें

'सेक्युलरवाद' के जरिए राजनीतिक पार्टियों का फायदा तो है!
भारतीय सेक्युलरवाद दैवी बनाम सांसारिक न हो कर सर्वधर्मसमभाव का है. यह बहुलता के प्रति सहनशीलता और राज करने के नियमित सिद्धांत के रूप में मान्यता देने का है. पर भारतीय और पश्चिमी सेक्युलरवाद में फर्क करने का मतलब यह नहीं है कि हम राज्य की सेक्युलर पहचान पर ही सवाल उठाना शुरू कर दें.
समाज | 2-मिनट में पढ़ें

आपबीती: दिल्ली मेट्रो की इस 'नाइंसाफी' से पुरुष समाज आहत है!
हम इस बात को नकार नहीं सकते कि उत्पीड़न का सबसे ज़्यादा शिकार इस समाज में महिलाएं होती हैं, और यह सच है, लेकिन यह भी गलत नहीं है कि महिलाएं अपनी आवाज समय-समय पर उठाती रहती हैं. उनके साथ लोग जुड़ भी जाते है, लेकिन पुरुषों के साथ ऐसा बहुत कम ही देखने को मिलता है जब कोई पुरुष अपने लिए आवाज उठाता है या लोग उसका साथ देते हैं.
सियासत | 6-मिनट में पढ़ें
समाज | 4-मिनट में पढ़ें
समाज | बड़ा आर्टिकल

जानिए राजनीतिक और सांस्कृतिक स्वाधीनता संघर्ष में गोरक्षपीठ का योगदान
इतिहास साक्षी है कि सनातन आस्था के महान केंद्र श्री गोरक्षपीठ के योगी राष्ट्र-रक्षा हेतु स्वयं सहभागी बन सुप्त समाज के राष्ट्रीय बोध को जागृत करने का युगान्तरकारी कार्य शताब्दियों से कर रहे हैं. मध्ययुगीन पराधीनता से लेकर आधुनिक युग की ब्रितानी गुलामी तक, प्रत्येक स्वाधीनता के स्वर में 'नाथ पंथ' की हुंकार सुनने को मिलती है.
सियासत | 6-मिनट में पढ़ें

बिहार की राजनीति में क्यों अहम हुईं अगड़ी जातियां?
90 के दशक में जब मंडल-कमंडल की राजनीति ने अपने पांव फैलाए, तो देश के तमाम दूसरे राज्यों की तरह बिहार की सियासत का नक़्शा भी बदल गया. लेकिन हाल के दिनों में, बिहार की राजनीति में एक बड़ा बदलाव देखने को मिल रहा है. अचानक वहां अगड़ी जातियों की अहमियत बढ़ गई है.
सियासत | 4-मिनट में पढ़ें

मुफ्त की रेवड़ियां बांटने से आर्थिक अनुशासन की अनदेखी हो रही है!
कर्नाटक में महिलाएं बसों में टिकट खरीदने से मना कर रही हैं. लोगों ने बिजली बिल देना बंद कर दिया है. फिर रेवड़ियों की घोषणा कर लागू ना करें तो भई चुनाव तो हमारे देश में हर साल होते हैं. और एक बार विश्वास तोड़ा नहीं कि जनता दोबारा विश्वास नहीं करती. सो गजब का दुष्चक्र निर्मित हो गया है.
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