समाज | एक अलग नज़रिया | 2-मिनट में पढ़ें
क्लास में छात्राओं को बुर्का पहनने की जरूरत ही क्या है?
हमारे हिसाब से यह सिर्फ राजनीति है और कुछ नहीं. इसके जरिए सिर्फ बुर्के का प्रचार किया जा रहा है. अगर क्लास में बुर्के से इतनी परेशानी है तो फिर इन छात्राओं को घर से बाहर ही नहीं निकलना चाहिए. खुद को पूरी तरह छिपाने के लिए घर की चारदीवारी से बेहतर कौन सी जगह है?
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स्विगी बैग वाली महिला ने साबित किया, जब बात बच्चों की हो तो मां से शक्तिशाली कोई नहीं
स्विगी बैग के साथ बुर्के में दिखने वाली इस महिला का नाम रिजवाना है. जो बेहद गरीब परिवार से है. उसकी शादी 23 साल पहले हुई थी. पति के जाने के बाद रिजवाना ने हार नहीं मानी और अपने बच्चों के लिए जीने की ठानी. उसने सोचा कि कितनी भी मुश्किल क्यों ना आए वह अपने बच्चों का सहारा बनेगी. अब वह अकेले ही अपने बच्चों को पाल रही है.
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ईरान और भारत में हिजाब के मुद्दे पर महिलाएं विपरीत, लेकिन पुरुष सेम पेज पर
ईरान में 'मॉरेलिटी पुलिस' की हिरासत में 22 वर्षीय महसा अमिनी की मौत ने बड़े पैमाने पर विरोध प्रदर्शन शुरू कर दिया है. ईरानी महिलाएं सड़कों पर हैं, हिजाब जला रही हैं और अपना आक्रोश दिखाने के लिए अपने बाल काट रही हैं. वहीं जैसा पुरुषों का रवैया है वो यही चाहते हैं कि महिला ज़िंदगी भर पर्दे में ही रहे.
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हिजाब बैन के लिए हल्ला मचाने से पहले ईरान में 'बेहिजाबी' मार दी गई लड़की को जान लीजिये
मासा ने हिजाब पहना था लेकिन ईरान की मोरल पुलिसकर्मी को लगा कि उसने हिजाब को सही तरीक़े से नहीं पहना है, इसलिए मासा को गिरफ़्तार करके डिटेंशन सेंटर ले गयी. जहाँ मासा को इतना मारा गया कि पहले वह कोमा में गयी और फिर उसकी मौत हो गयी..
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