सियासत | 3-मिनट में पढ़ें

ऐन चुनावों के वक़्त बिना साथी के कैसे जिएगा हाथी !
BSP सुप्रीमो मायावती बार-बार कह रही हैं कि उसकी पार्टी किसी भी गठबंधन में नहीं शामिल होंगी. जिस शिद्दत से भाजपा से लड़ने के लिए बड़े-बड़े विपक्षी दल एकजुटता हो रहे हैं और प्रत्यक्ष और अप्रत्यक्ष रूप से जता रहे हैं कि भाजपा से अकेले लड़ना किसी एक अकेले के बस में नहीं है.
सियासत | 3-मिनट में पढ़ें

मायावती मुश्किल में, इधर जाएं या फिर उधर...
सियासत में कभी भी कुछ भी हो सकता है. ऊंट की नई करवट किसी भी पुराने बयान या संकेत को ग़लत भी साबित कर सकती हैं. ताज्जुब नहीं कि भाजपा के खिलाफ एकजुटता मूर्तरूप ना ले सके. संभव ये भी है कि ना.. ना... करके मायावती भी विपक्षी खेमें में शामिल हो जाएं. यदि ऐसा हुआ तो महागठबंधन और बसपा दोनों को लाभ हो सकता है.
सियासत | बड़ा आर्टिकल

क्या उत्तर प्रदेश में कानून व्यवस्था का यह सही दौर चल रहा है?
हाल ही में उत्तरप्रदेश में जो घटना हुई है उससे पूरे देश में सियासी परा गरम है. राजूपाल हत्याकांड के मुख्य गवाह उमेश पाल और उनके सरकारी गनर की प्रयागराज में हुई हत्या के मामले से उत्तर प्रदेश की सियासत गर्माने का मौका दे दिया हैं. यह हत्याकांड से पूरा प्रदेश ही नहीं पूरे देश में चर्चा है.
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रामचरित मानस विवाद RSS के लिए मंडल बनाम कमंडल जैसी ही चुनौती है
रामचरितमानस विवाद (Ramcharitmanas Controversy) पर शुरू हुई राजनीति अभी तो नहीं थमने वाली है. ये विवाद यूपी-बिहार की जातीय राजनीति (Caste Politics) को भरपूर ईंधन मुहैया करा रहा है - बाकी सब तो फायदे में हैं, लेकिन नुकसान राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (RSS) को हो रहा है.
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राहुल गांधी बीजेपी को नहीं हटा सकते तो अखिलेश यादव की नजर में कोई और है क्या?
अखिलेश यादव (Akhilesh Yadav) को यकीन तो अब भी नहीं हो रहा है कि राहुल गांधी (Rahul Gandhi) 2024 में बीजेपी (BJP) को चैलेंज कर पाने की स्थिति में होंगे - क्या विपक्ष के ज्यादातर नेताओं के भारत जोड़ो यात्रा से दूर रहने सबसे बड़ी वजह यही है?
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मैनपुरी की खुशी के आगे अखिलेश यादव को रामपुर का गम कितना कम होगा?
अखिलेश यादव (Akhilesh Yadav) को सबसे ज्यादा खुशी तो मैनपुरी उपचुनाव (Mainpuri Bypoll) के नतीजे से ही मिली होगी. खतौली में गठबंधन की जीत ने भी काफी राहत दी होगी, लेकिन रामपुर की हार का भी दुख है क्या? क्योंकि वहां तो आजम खान (Azam Khan) की हार हुई है!
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अखिलेश यादव ने चंद्रशेखर आजाद को ही मायावती का विकल्प मान ही लिया
मायावती (Mayawati) के हाथ खींच लेने के बाद भी अखिलेश यादव (Akhilesh Yadav) यूपी विधानसभा चुनाव में चंद्रशेखर आजाद (Chandrashekhar Azad) के दबाव में नहीं आये, लेकिन अब दोनों के तेवर नरम पड़ चुके हैं - और सपा नेतृत्व ने भीम आर्मी को बीएसपी का विकल्प मान लिया है.
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ऐन चुनावों के वक़्त बिना साथी के कैसे जिएगा हाथी !
BSP सुप्रीमो मायावती बार-बार कह रही हैं कि उसकी पार्टी किसी भी गठबंधन में नहीं शामिल होंगी. जिस शिद्दत से भाजपा से लड़ने के लिए बड़े-बड़े विपक्षी दल एकजुटता हो रहे हैं और प्रत्यक्ष और अप्रत्यक्ष रूप से जता रहे हैं कि भाजपा से अकेले लड़ना किसी एक अकेले के बस में नहीं है.
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मायावती मुश्किल में, इधर जाएं या फिर उधर...
सियासत में कभी भी कुछ भी हो सकता है. ऊंट की नई करवट किसी भी पुराने बयान या संकेत को ग़लत भी साबित कर सकती हैं. ताज्जुब नहीं कि भाजपा के खिलाफ एकजुटता मूर्तरूप ना ले सके. संभव ये भी है कि ना.. ना... करके मायावती भी विपक्षी खेमें में शामिल हो जाएं. यदि ऐसा हुआ तो महागठबंधन और बसपा दोनों को लाभ हो सकता है.
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क्या उत्तर प्रदेश में कानून व्यवस्था का यह सही दौर चल रहा है?
हाल ही में उत्तरप्रदेश में जो घटना हुई है उससे पूरे देश में सियासी परा गरम है. राजूपाल हत्याकांड के मुख्य गवाह उमेश पाल और उनके सरकारी गनर की प्रयागराज में हुई हत्या के मामले से उत्तर प्रदेश की सियासत गर्माने का मौका दे दिया हैं. यह हत्याकांड से पूरा प्रदेश ही नहीं पूरे देश में चर्चा है.
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रामचरित मानस विवाद RSS के लिए मंडल बनाम कमंडल जैसी ही चुनौती है
रामचरितमानस विवाद (Ramcharitmanas Controversy) पर शुरू हुई राजनीति अभी तो नहीं थमने वाली है. ये विवाद यूपी-बिहार की जातीय राजनीति (Caste Politics) को भरपूर ईंधन मुहैया करा रहा है - बाकी सब तो फायदे में हैं, लेकिन नुकसान राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (RSS) को हो रहा है.
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राहुल गांधी बीजेपी को नहीं हटा सकते तो अखिलेश यादव की नजर में कोई और है क्या?
अखिलेश यादव (Akhilesh Yadav) को यकीन तो अब भी नहीं हो रहा है कि राहुल गांधी (Rahul Gandhi) 2024 में बीजेपी (BJP) को चैलेंज कर पाने की स्थिति में होंगे - क्या विपक्ष के ज्यादातर नेताओं के भारत जोड़ो यात्रा से दूर रहने सबसे बड़ी वजह यही है?
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मैनपुरी की खुशी के आगे अखिलेश यादव को रामपुर का गम कितना कम होगा?
अखिलेश यादव (Akhilesh Yadav) को सबसे ज्यादा खुशी तो मैनपुरी उपचुनाव (Mainpuri Bypoll) के नतीजे से ही मिली होगी. खतौली में गठबंधन की जीत ने भी काफी राहत दी होगी, लेकिन रामपुर की हार का भी दुख है क्या? क्योंकि वहां तो आजम खान (Azam Khan) की हार हुई है!
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