सियासत | 4-मिनट में पढ़ें

मुफ्त की रेवड़ियां बांटने से आर्थिक अनुशासन की अनदेखी हो रही है!
कर्नाटक में महिलाएं बसों में टिकट खरीदने से मना कर रही हैं. लोगों ने बिजली बिल देना बंद कर दिया है. फिर रेवड़ियों की घोषणा कर लागू ना करें तो भई चुनाव तो हमारे देश में हर साल होते हैं. और एक बार विश्वास तोड़ा नहीं कि जनता दोबारा विश्वास नहीं करती. सो गजब का दुष्चक्र निर्मित हो गया है.
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कर्नाटक में सत्ता परिवर्तन ने बता दिया कि जनता को विकास नहीं 'मुफ्त रेवड़ियां' चाहिए
कर्नाटक में विधानसभा चुनाव के लिए राजनीतिक दलों की ओर से की गई लोकलुभावन घोषणाएं राज्य की अर्थ व्यवस्था पर भारी पड़ सकती हैं. कर्नाटक बेशक अमीर राज्य है, फिर भी उसकी प्रतिबद्ध देनदारियां इतनी हैं कि चुनावी वादों के नाम पर खैरात बांटने की गुंजाइश बिल्कुल नहीं है.
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कांग्रेस कर्नाटक से मिले बूस्टर को हर राज्य में आजमाएगी
कांग्रेस के पास इस साल नवंबर-दिसंबर में राजस्थान और छत्तीसगढ़ में सत्ता पर काबिज होने और 2018 में जीते गए मध्य प्रदेश को फिर से हासिल करने की कोशिश करने का एक मुश्किल काम था, क्योंकि 2020 में ज्योतिरादित्य सिंधिया के 22 विधायकों के साथ भाजपा में नाटकीय दलबदल के कारण उसे सत्ता गवानी पड़ी थी.
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बजरंग दल के मुद्दे से भाजपा या कांग्रेस को नहीं जेडीएस को हुआ बड़ा सियासी नुकसान
कांग्रेस ने कर्नाटक चुनाव को मुख्य रूप से स्थानीय और राजकीय अराजकता के मुद्दे पर लड़ा. चाहे वो 40 फीसदी कमीशन का मुद्दा हो या कठपुतली मुख्यमंत्री का. कांग्रेस के स्थानीय छत्रप प्रदेश अध्यक्ष डी के शिवकुमार और पूर्व मुख्यमंत्री सिद्धरमैया द्वारा कैम्पेन की कमान मजबूती से सम्भाली गई.
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कांग्रेस मेनिफेस्टो में 'बजरंग दल बैन' की बात थी, पीएम मोदी ने बजरंगबली तक पहुंचा दी!
चुनावों से पहले तिल को ताड़ कैसे किया जाता है कर्नाटक के होसपेट में रैली में आई हुई जनता उस वक़्त समझी, जब प्रधानमंत्री मोदी ने कहा है कि कांग्रेस पार्टी ने अपने मेनिफेस्टो में बजरंगबली को ताले में बंद करने का निर्णय लिया है. जबकि पीएफआई के साथ कांग्रेस ने बजरंगदल पर प्रतिबंध लगाने की बात अपने मेनिफेस्टो में की थी.
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क्या कर्नाटक चुनाव में अब दूध और लाल मिर्च भी बनेगा चुनावी मुद्दा?
Karnataka Assembly Election 2023: अमूल के बैंगलुरू में दूध बेचने के प्रस्ताव से खड़ा हुआ हंगामा कर्नाटक चुनाव में मुद्दा बन गया है. अमूल के इस प्रयास को कर्नाटक मिल्क फ़ेडेरेशन (केएमएफ़) के ब्रांड नंदिनी के क्षेत्र में घुसपैठ के रूप में देखा जा रहा है. ये बहस अमूल की तरफ़ से एक अधिकारिक ट्वीट करने के बाद शुरू हुई है.
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Karnataka Election: कर्नाटक का चुनाव हिमाचल की तरह मुश्किल है!
भाजपा के शीर्ष नेतृत्व ने वंशवादी राजनीति का ठप्पा लगने से बचने के लिए येदियुरप्पा को हटा तो दिया, लेकिन अब उसे लिंगायत समुदाय के वोट बैंक की चिंता सता रही है. प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने येदियुरप्पा के साथ गलबहियां करके पार्टी को इसी चिंता से उबारने की कोशिश की है.
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