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वो पहाड़ी, जहां महाकश्यप को आज भी है भगवान बुद्ध के आने का इंतजार
मान्यता के अनुसार भगवान बुद्ध का उत्तराधिकारी महाकश्यप जब अपने जीवन के अंतिम पड़ाव पर था, तब वह इस पहाड़ी पर चढ़ने का प्रयत्न कर रहा था. इसी दौरान पहाड़ी की एक चट्टान में उनका पाँव फँस गया. लेकिन इन्ही चट्टानों ने फिर स्वयं ख़ुद को अलग कर उनको रास्ता दिया. महाकश्यप पहाड़ी की चोटी पर पहुँचे और ध्यानमग्न हो गये और आज भी ध्यान में लीन हैं और बुद्ध के अगले अवतार मैत्रेय के आने का इंतजार कर रहे हैं.
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