बैंक के कर्जदार हो जाएं सावधान... "भाई" के लोग आते ही होंगे !
अपना पैसा वापस हासिल करने के लिए SBI ने जो योजना बनाई है उससे बैंक को तो फायदा मिल सकता है मगर आम आदमी? ये योजना आम आदमी को काफी तकलीफ देने वाली है.
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हमारे देश में बैंकों का कर्ज डकार जाने के किस्से बेहद आम हैं. लोग बैंक से पैसा लेते हैं और भूल जाते हैं. बैंक से पैसा उधर लेने को भले ही हम और आप भूल जाएं मगर बैंक नहीं भूलता. इसको लेकर बैंक के अन्दर की नागिन बड़ी सजग और गंभीर रहती है और जैसे ही आप पैसा लेने आते हैं वो आपकी फोटो अपनी आंखों में उतार लेती है. आज नहीं तो कल वो आपसे बदला लेकर अपना पैसा वापस ले ही लेगी. ध्यान रहे ये सुविधा केवल हमारे और आपके, हम जैसे आम लोगों के लिए है. इसका माल्या सरीखों से कोई लेना देना नहीं है. बैंक की वो नागिन भले ही आपसे और हमसे पैसा निकलवा ले मगर वो इन लोगों को पकड़ नहीं पाती.
बैंकों की ये पहल निकट भविष्य में आम आदमी को बड़ी मुसीबत में डाल सकता है
बात बैंक की चल रही है तो पहले एक खबर जान लीजिये. खबर ये है कि अगर आपने बैंक से पैसा लिया और उसे चुकाया नहीं है तो आप बड़ी दुविधा में फंसने वाले हैं. आपकी मुसीबत रास्ते में है जो किसी भी वक़्त आपके दरवाजे पर दस्तक देकर आस पड़ोस में आपकी भारी बेइज्जती करा सकती है. जी हां सही सुन रहे हैं आप. इसकी शुरुआत होगी उन लोगों से जिन्होंने एसबीआई से शिक्षा के नाम पर लों लिया और फिर उसे चुकाना भूल गए या ये कहें कि उन्हें चुकाने की इच्छा ही नहीं हुई.
एसबीआई ने ऐसे 380 करोड़ के लोन को डिफाल्ट माना है और तमाम प्रयासों के बाद थक हारकर उसे नीलाम करने की योजना बनाई है. जो भी व्यक्ति या संस्था इसके लिए सर्वाधिक बोली लगाएगी एसबीआई ये रकम उनको दे देगा और फिर वो लोग अपने तरीके से इसे जनता से वसूलेंगे. रकम, उसूलने वाले व्यक्ति या संस्था की मानी जाएगी.
इस पूरे मामले में सबसे जायद दिलचस्प बात ये है कि बैंक संस्था को पैसा वसूलने की पूरी छूट देगी और कार्यवाही पर व्यक्ति या संस्था को बैंक का संरक्षण प्राप्त होगा. आपको बताते चलें कि बैंक ने इस पहल और 20,891 डिफ़ॉल्टर अकाउंट के लिए आवेदन मंगवा लिए हैं और जल्द ही वो इसका ठेका उचित बिड वाली कम्पनी को दे देगी. ज्ञात हो कि बैंक ने इस 389 करोड़ की राशी का न्यूनतम मूल्य 114 करोड़ के आस पास रखा है.
गौरतलब है कि एसबीआई समेत इंडियन बैंक, पीएनबी, इंडियन ओवेर्सीज बैंक, सहकारी बैंक जैसे तमाम बैंक बड़ी पशोपेश की स्थिति में फंसे हुए हैं ऐसा इसलिए क्योंकि इनसे जनता ने अलग-अलग कारणों से ऋण तो लिया मगर इनके बार-बार आग्रह करने के बावजूद उसे चुकाया नहीं जिससे बैंकों को हजारों करोड़ का नुकसान हुआ. बात अगर बैंकों द्वारा गंवाई गयी राशि की हो तो आपको बता दें कि साल 2017 में जो बैंक इन सब मामलों के चलते सबसे ज्यादा नुकसान में रहा वो इंडियन बैंक था जिसने 671 करोड़ रुपए बांटे वहीं साल 2017 में स्टेट बैंक का नुकसान 538 करोड़ रुपए था.
एसबीआई द्वारा ये पहल इसलिए की गयी ताकि वो अपने पैसों की रिकवरी कर सके
बात अगर उस बैंक की हो जो इस तालिका में सबसे नीचे या यूं कहें कि सबसे कम नुकसान पर रहा की हो तो वो सहकारी बैंक था जिसने 347 करोड़ रुपए लोगों को दिए मगर वो उसे मिले नहीं.बहरहाल, भले ही बैंक की इस पहल से उसे उसके बकाए पैसे मिल जाएं मगर ये मुहीम कई मायनों में उन लोगों के लिए संकट साबित होगी जिन्होंने बैंक का पैसा नाजायज तरीके से अपने पास रखा हुआ है. ध्यान रहे कि गुज़रे सालों में रिकवरी के कई ऐसे मामले सामने आये थे जिनमें लोक लाज के कारणवश लोगों ने आत्महत्या तक कर ली.
पुलिस के पास ऐसी शिकायतों की भरमार रहती थी जिनमें रिकवरी के नाम पर घर के दरवाज़े पर आए गुंडों ने महिलाओं तक से बदतमीजी और हाथापाई की. बात जब रिकवरी के नाम पर पैसे लेने की है तो यहां ये बताना भी बेहद जरूरी है कि इसके लिए बैंकों ने गुंडों और अराजक तत्वों के अलावा हिजड़ों तक को नियुक्त कर रखा है जिनको देखकर समाज का कोई भी सभ्य आदमी पैसे चुकाने पर मजबूर हो जाता है.
अंत में हम ये कहते हुए अपनी बात खत्म करेंगे कि जब एक तरफ हम ये बात भली प्रकार जानते हैं कि बैंक अपना पैसा कैसा निकलवाता है उसके बाद इस मुहीम को देखकर इस बात का अंदाजा अपने आप लग जाता है कि आम जनता की जेब से पैसा निकालने का ये अभियान भविष्य में कितना घिनौना और कष्ट देने वाला होगा. ऐसा इसलिए क्योंकि फिर थानों में ऐसे मामले आएंगे जिनमें हम ये सुनेंगे कि कैसे धनउगाही के नाम पर गुंडों ने महिला के साथ छेड़छाड़ की या फिर कैसे बकाया पैसे न मिलने के चलते रिकवरी एजेंट ने बुजुर्ग को पीटा और घर का समान उठा के बाहर फेंक दिया.
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