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Updated: 24 अगस्त, 2021 01:55 PM
बिलाल एम जाफ़री
बिलाल एम जाफ़री
  @bilal.jafri.7
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दंगे में सबसे ज्यादा नुकसान अकसर वही उठाता है, जिसका न तो दंगे से वास्ता होता है, और न उस मुद्दे से जिसकी वजह से दंगा हुआ. पिछले साल पूर्वी दिल्ली में हुए हिंदू-मुस्लिम दंगे को ही ले लीजिये. अब आइए, इंदौर की उस घटना पर चर्चा कर लेते हैं जहां एक मुस्लिम चूड़ीवाले को कथित हिंदूवादी संगठन के लोग मुसलमान-मुसलमान कहकर पीटते नजर आ रहे हैं. 

पहले ये समझिए, एजेंडा कैसे काम करता है? हमारे बीच की नफरत कैसे एक धर्म को दूसरे धर्म का दुश्मन बना रही है? कैसे आज देश मे रहने वाला हिंदू मुसलमानों का और मुसलमान हिंदुओं के दुश्मन बन गए हैं. एमपी के इंदौर की घटना से बेहतर उदाहरण मौजूदा परिदृश्य में शायद ही कोई हो. कहना गलत नहीं है कि भरे पेट वाले के कट्टरपंथ को एक गरीब असहाय चूड़ी वाले ने भुगता है. 

सोशल मीडिया पर इंदौर का वीडियो जंगल में लगी आग की तरह फैला है. महिलाओं से छेड़छाड़ की आड़ लेकर कुछ लोग एक चूड़ीवाली को उसकी धार्मिक पहचान के बाद बेरहमी से पीट रहे हैं. इंटरनेट पर वायरल वीडियो स्पष्ट संदेश देता है कि पीटने वाले हिंदू हैं मार खाने या ये कहें कि पिटने वाला मुसलमान.

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क्या था मामला

इंदौर के बाण गंगा इलाके में एक चूड़ी वाला चूड़ी बेच रहा था. वहीं किसी महिला ने उसपर छेड़छाड़ और बदसलूकी के इल्जाम लगाए. स्थानीय लोगों ने युवक को पकड़ लिया. उसका नाम पिटने और पीटे जाने दोनों के लिए काफी था. महिलाएं, चूड़ी, छेड़छाड़ सब एक किनारे हो गया और युवक का मुसलमान होना दूसरे किनारे. लोगों को हाथ साफ करने का मौका मिला जिसका उन्होंने पूरा फायदा उठाया. छेड़छाड़ बहाना बन गई फिर जो हुआ उसने कानून, भाईचारे, सेकुलरिज्म, अखंडता, एकता, सौहार्द सब की लंका लगा दी.

इस पिटाई में भी एजेंडा हावी रहा. युवक मुसलमान था इसलिए अफगानिस्तान, भेदभाव, लव जिहाद, धर्मांतरण, कश्मीर ने आग में घी का काम किया और फिर जो हुआ वो हमारे सामने है. सवाल ये है कि क्या सिंधू घाटी सभ्यता, हड़प्पा, मोहनजोदड़ो के विकसित होने से लेकर आज तक ये कोई पहली बार था कि इंदौर के बाणगंगा इलाके में कोई चूड़ी वाला आया हो और उसने चूड़ी बेचने के नाम पर किसी महिला से बदसलूकी की हो?

हिंदुस्तान के कई स्थानों पर दशकों से ऐसे ही चूड़ी बिकती है. मोल तोल होता है कई बार ग्राहक के चलते फेरी वाल एग्रेसिव हो जाते हैं. लोगों को लगता है कि चूड़ी वाला बदतमीजी कर रहा है मगर कभी उसे मुसलमान- मुसलमान कहकर नहीं मारा गया. मगर इंदौर में ये हुआ है और यही परम सत्य है.

साफ है कि इंदौर मामले में एजेंडे के अलावा नफरत ने अपना रंग दिखाया है. खुद सोचिये कि क्या बाणगंगा इलाके में चूड़ी बेचने के लिए आया चूड़ीवाला यदि हिंदू होता तो भी क्या ऐसा ही होता? क्या तब भी वीडियो बनता और उसे वायरल किया जाता? क्या तब भी मामला हिंदू मुस्लिम का रंग लेता और इसपर राजनीति होती? जवाब हम सब को पता है.

पूरे धड़ल्ले के साथ हो हो रही है मामले पर राजनीति 

इंदौर के इस मामले में भी राजनीति हो रही है. उत्तर प्रदेश के कांग्रेस नेता इमरान प्रतापगढ़ी को मामले के मद्देनजर अपनी राजनीतिक रोटी सेंकने का पूरा मौका मिल गया है. घटना का वीडियो ट्वीट करते हुए उन्होंने मध्यप्रदेश के मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान को घेरा है. इमरान ने लिखा है कि ये वीडियो अफगानिस्तान का नहीं बल्कि आज इंदौर का है. शिवराज सिंह चौहान के सपनों के मध्यप्रदेश में एक चूड़ी बेचने वाले मुसलमान का सामान लूटकर सरेआम भीड़ से लिंचिंग करवाई जाती है.

इसके बाद इमरान ने पीएम मोदी को टैग किया है और सवाल पूछा है कि क्या यही भारत बनाना चाहते थे आप? इन आतंकियों पर कार्रवाई कब?जैसा कि हम बता चुके हैं इमरान इस घटना को मुद्दे की तरह पेश कर रहे हैं उन्होंने एक ट्वीट और किया है. अपने दूसरे ट्वीट में इमरान ने लिखा है कि उन्होंने इंदौर के उस पीड़ित लड़के से बात की है. ट्वीट में इमरान ने वादा किया है कि लड़के का जो भी सामान लूटा गया है उसकी कीमत न केवल वो चुकाएंगे बल्कि लड़के को न्याय मिल सके इसके लिए उसे वकील भी मुहैया कराएंगे.

इमरान ने बताया है कि स्थानीय पुलिस मामले को कवर करने का प्रयास कर रही है इसलिए उनकी टीम मौके पर मौजूद है.

जानता पूरा देश है कि इस लड़के को कितने पैसे और कितना इंसाफ इमरान प्रतापगढ़ी की तरफ से मिलेगा लेकिन अच्छा नेता वही है जो मुद्दों को भुनाने में कोई कसर न छोड़े.

मामले के मद्देनजर इमरान के ट्वीट के बाद प्रश्न करिये अपने आप से कि अगर इस मामले में हिंदू-मुस्लिम फैक्टर न दिख रहा होता तो क्या कभी लड़के की मदद के लिए इमरान प्रतापगढ़ी सामने आते? साफ है कि अगर ऐसा होता तो उस क्षण इमरान के लिए ट्वीट का स्कोप ही नहीं रहता.

हम फिर इस बात को दोहराना चाहेंगे कि इंदौर में मुसलमान चूड़ीवाले ने भले महिलाओं से छेड़छाड़ की हो, लेकिन उसे मुसलमान कह-कहकर पीटना कहीं और की ही कुंठा दिखा रहा है. साफ समझा जा सकता है की चुड़ीवाला तो बस बहाना है. पीटने वाली जनता ने भड़ास किसी और बात की निकली है.

चूड़ी वाले को पिटना और वीडियो वायरल होना ही था

जैसा कि हम ऊपर ही कई बार इस बात को दोहरा चुके हैं कि इस मामले में मुद्दा चूड़ी वाले द्वारा महिलाओं से छेड़छाड़ न होकर नफरत और हिंदू मुस्लिम है. चूड़ी बेच रहे व्यक्ति का पिटना और पिटाई के बाद उसका वीडियो वायरल किया जाना. उसपर भरपूर राजनीति का होना दोनों ही स्वाभाविक था.खुद सोचिए कि हिंदू इलाके में दिखना नहीं चाहिए वाली बात कहकर किसी को मारना. ये कहना कि इसको मारकर बंबई बाजार का बदला ले लो (बंबई बाजार इंदौर का मुस्लिम बाहुल्य क्षेत्र रहा है जहां पूर्व में कई दंगे हुए हैं.)

डरना क्या सब एक एक हाथ मारो ये वो बातें हैं जो बता रही हैं कि अब वो समय आ गया है जब हमारे अंदर से नफरत का ओवर फ्लो हो रहा है. जब तक ये ओवर फ्लो होगा तब तक ऐसे ही 'चूड़ी वाले' पिटते रहेंगे. उनके वीडियो बनते रहेंगे.

हम इस घटना पर ये बिल्कुल नहीं कहेंगे कि इंदौर में बहुत गलत हुआ है और इस घटना की इस तरह की घटना की निंदा होनी चाहिए. हां लेकिन हम ये जरूर कहेंगे कि इंदौर की घटना ने बता दिया है कि अब वो वक़्त आ गया है जब हमारे अंदर की नफरत हमें कहीं का नहीं छोड़ेगी. लोगों के, दो धर्मों के बीच पनपी नफरत के कारणवश देश को इससे कहीं ज्यादा विभत्स्य दृश्यों को देखने के लिए तैयार रहना चाहिए.

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लेखक

बिलाल एम जाफ़री बिलाल एम जाफ़री @bilal.jafri.7

लेखक इंडिया टुडे डिजिटल में पत्रकार हैं.

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